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इटानगर, 9 अप्रैल (हि.स.)। अरुणाचल
प्रदेश पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने स्पष्ट किया है कि वन विभाग, इटानगर ने किसी भी अधिकारी, व्यक्ति या कर्मियों को बाजार में सब्जी, जड़ी-बूटियों, जैविक पत्तेदार
सब्जियों और मछलियों आदि को जब्त करने का अधिकार नही दिया गया हैं।
वन
विभाग के आधिकारिक बयान के अनुसार, वायरल सोशल मीडिया में वीडियो और तस्वीरों से पता चला है कि इटानगर क्षेत्र जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त
एक मजिस्ट्रेट, पुलिस
और वन कर्मियों के दो फ्रंटलाइन कर्मचारियों सहित, इटानगर के बाजार में छापेमारी की गयी।
कथित
तौर पर यह छापेमारी पापुम पारे जिला जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नबाम रेगम और अखिल अरुणाचल जैव विविधता प्रबंधन
समिति सदस्य संघ के एक
स्वयंभू अध्यक्ष के इशारे पर की गई थी। विभाग ने कहा कि इस तरह की
कार्रवाइयों से जनता को गंभीर असुविधा हुई है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत इसका समर्थन
नहीं किया जाता है।
अधिनियम
स्थानीय आबादी द्वारा अपने भोजन की आदतों के हिस्से के रूप में पारंपरिक रूप से
उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों और सब्जियों को जब्त करने की अनुमति नहीं देता
है। विभाग ने कहा कि दो फ्रंटलाइन कर्मचारियों की संलिप्तता के बारे में उप मुख्य
वन्यजीव वार्डन से स्पष्टीकरण मांगा गया है और आश्वासन दिया है कि नियमानुसार
कार्रवाई की जाएगी। अधिकारिक बयान में कहा गया है कि नबाम रेगम की कथित भूमिका पर अरुणाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता
बोर्ड (एपीएसबीबी) के सदस्य सचिव से भी लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी