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इटानगर, 09 अप्रैल (हि.स.)। अरुणाचल
प्रदेश महिला कल्याण सोसायटी (एपीडब्ल्यूडब्ल्यूएस) ने बुधवार को इटानगर गांधी
मार्केट में महिला विक्रेताओं से कथित तौर पर मनमाने ढंग वन अधिकारी द्वारा देशी
खाद्य पदार्थों को जब्त करने के कदम की निंदा की और तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की।
एपीडब्ल्यूडब्ल्यूएस
ने अपने एक बयान में कहा कि बीते 8 अप्रैल को अधिकारियों
ने गांधी मार्केट में एक अघोषित छापेमारी की और विभिन्न पारंपरिक आदिवासी
खाद्य पदार्थों को जब्त कर लिया, जिनका सेवन स्वदेशी समुदाय पीढ़ियों से करते आ रहे हैं।
कथित
तौर पर जब्त की गई वस्तुओं में होन्योर, केले का फूल, होजी, जोका, मार्सेंग (जो जंगली
पत्ता) और जंगली मशरूम, बांस के अंकुर, सूखे किंग मिर्च के पैकेट और झाड़ू आदि शामिल थे।
विक्रेता
महिलओ के अनुसार, मंगलवार को दोपहर 1 से 1.30 बजे के बीच लगभग छह
अधिकारी बाजार में पहुंचे और महिलाओं को बताया कि बिना परमिट के ऐसी वस्तुओं को
बेचने की अनुमति नहीं है। एपीडब्ल्यूडब्ल्यूएस ने कहा कि कुछ अधिकारियों ने कथित
तौर पर दावा किया कि खाद्य पदार्थ हानिकारक है और
विक्रेताओं को केवल लाईपाटा बेचने की सलाह दी। महिला संगठन ने इस कार्रवाई को
आदिवासी खाद्य प्रथाओं पर प्रत्यक्ष हमला करार दिया।
इस
कार्य से प्रभावित विक्रेताओं को मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचा है, जिनमें से कई अपने
परिवारों के एकमात्र कमाने वाले हैं। एपीडब्ल्यूडब्ल्यूएस ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के उल्लंघन का हवाला
देते हुए कार्रवाई के तरीके पर गंभीर चिंता व्यक्त की, जो आदिवासी समुदायों
को गैर-लकड़ी वन उपज की कटाई और बिक्री करने की अनुमति देता है। संगठन ने आरोप
लगाया कि छापेमारी से पूर्व कोई उचित दस्तावेज, जब्ती ज्ञापन या पूर्व नोटिस जारी नहीं किए गए थे।
एपीडब्ल्यूडब्ल्यूएस
ने राज्य सरकार से मामले की गहन जांच करने, प्रभावित विक्रेताओं
को मुआवजा देने और कथित अनियमितता में शामिल अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई
करने का आग्रह किया। साथ ही मामले के समाधान की मांग करते हुए अरुणाचल प्रदेश
के मुख्य सचिव को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपा गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी