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'मास्टरशेफ इंडिया 2023' की फाइनलिस्ट उर्मिला जमनादास आशेर 'गुज्जू बेन' का बीती रात मुंबई में निधन हो गया। 79 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को सुबह मरीन लाइन्स स्थित चंदन वाड़ी में किया गया। उनके आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक भावुक पोस्ट के जरिए उनके निधन की पुष्टि की गई, जिससे फैंस और फूड लवर्स के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। गुज्जू बेन अपनी ऊर्जा, रसोई के प्रति प्रेम और दिल जीत लेने वाले अंदाज़ के लिए हमेशा याद की जाएंगी।
गुज्जू बेन के आधिकारिक इंस्टाग्राम पोस्ट में उनके परिवार ने लिखा, गहरे दुख के साथ हम श्रीमती उर्मिला जमनादास आशेर के निधन की खबर शेयर करते हैं, जिन्हें दुनिया प्यार से गुज्जू बेन या बा के नाम से जानती थी। वह साहस, खुशी और देर से खिलने वाले सपनों का प्रतीक बन गईं। उन्होंने हमें याद दिलाया कि शुरुआत करने, मुस्कुराने और प्रेरित करने में कभी देर नहीं होती। उनकी रसोई से लेकर आपके दिलों तक उनकी गर्मजोशी, हंसी और ज्ञान ने जीवन बदल दिया।
यह संदेश न सिर्फ एक मां, दादी या होम शेफ की विदाई है, बल्कि एक प्रेरणा की अलविदा भी है। गुज्जू बेन ने यह साबित किया कि उम्र कभी भी सपने देखने और उन्हें साकार करने में रुकावट नहीं बन सकती। उनका जाना भारतीय कुकिंग कम्युनिटी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
कौन थी 'गुज्जू बेन'उर्मिला जमनादास आशेर ऐसी शख्सियत थीं, जिन्होंने जिंदगी की तमाम मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी। उन्होंने अपने जीवन में कई गहरे निजी दुख झेले, ढाई साल की उम्र में अपनी बेटी को खो दिया। हालांकि, दर्द का सिलसिला यहीं नहीं रुका। साल 2019 में उनके पोते हर्ष एक दुर्घटना के शिकार हो गए, जिसमें उनका निचला होंठ कट गया। लेकिन इस दादी-पोते की जोड़ी ने मुश्किल हालात को मौके में बदला और 2020 में शुरू किया अपना किचन बिजनेस 'गुज्जू बेन ना नास्ता', जो जल्द ही मुंबई के चरनी रोड पर काफी लोकप्रिय हो गया।
उर्मिला सिर्फ एक उद्यमी नहीं थीं, वह एक प्रेरणा थीं। उन्होंने टेडएक्स स्पीकर के तौर पर लोगों को जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने की सीख दी और एक यूट्यूब चैनल के जरिए लोगों को गुजराती व्यंजन बनाना सिखाया। उनकी लोकप्रियता तब और बढ़ी जब वे मास्टरशेफ इंडिया सीजन 7 की फाइनलिस्ट बनीं, जहां उन्होंने अपनी पाक कला से जजों और दर्शकों दोनों का दिल जीत लिया। गुज्जू बेन ने साबित किया कि उम्र, दर्द और परेशानियां भी उस जुनून को नहीं रोक सकतीं जो कुछ कर दिखाने का हो।---------------
हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे