राम जन्मोत्सव समारोह में शामिल हुए राज्यपाल
गुवाहाटी, 6 अप्रैल (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य आज श्री श्री माधवदेव अंतरराष्ट्रीय ऑडिटोरियम में आयोजित राम जन्मोत्सव समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन लुइत-जिस्ट कम्युनिकेशन एंड एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा किया गया था। समारोह
राम जन्मोत्सव समारोह में शामिल राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य।


गुवाहाटी, 6 अप्रैल (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य आज श्री श्री माधवदेव अंतरराष्ट्रीय ऑडिटोरियम में आयोजित राम जन्मोत्सव समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन लुइत-जिस्ट कम्युनिकेशन एंड एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा किया गया था।

समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य ने कहा कि राम जन्मोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह वह अवसर है जब हमें भगवान राम के जीवन मूल्यों—त्याग, धर्म, सत्य और कर्तव्य—को आत्मसात करने और उनका अनुसरण करने का संकल्प लेना चाहिए।

उन्होंने इस पावन भूमि की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सिर्फ मां कामाख्या की धरती ही नहीं, बल्कि श्रीमंत शंकरदेव और श्री श्री माधवदेव जैसे महान संतों की शिक्षाओं से भी समृद्ध है। उन्होंने बताया कि 14वीं सदी के कवि माधव कांदली ने वाल्मीकि रामायण का पहला असमिया अनुवाद ‘सप्तकांड रामायण’ के रूप में किया था, जो राज्य की समृद्ध रामकथा परंपरा को दर्शाता है।

राज्यपाल ने कहा कि भगवान राम केवल एक ऐतिहासिक पात्र नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रतीक हैं। उनका जीवन दिखाता है कि कैसे व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठा, मर्यादा और अनुशासन के साथ परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का पालन कर सकता है।

उन्होंने युवाओं को भगवान राम से प्रेरणा लेने की अपील करते हुए कहा कि आज के चुनौतीपूर्ण समय में संयम, समर्पण और नैतिकता के आदर्शों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों के समन्वय पर बल देते हुए कहा कि यही भारत को सशक्त, समृद्ध और उन्नत राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ाएगा।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि सच्ची रामभक्ति सेवा, नारी सम्मान, पर्यावरण संरक्षण और समाज कल्याण के कार्यों के माध्यम से ही व्यक्त होती है।

उन्होंने भारतीय मूल्यों—सत्य, अहिंसा, करुणा और मानवता—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये वे आदर्श हैं जो वेदों, उपनिषदों, गीता और रामायण जैसे ग्रंथों में निहित हैं और यही कारण है कि भारत ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सर्व धर्म समभाव’ का संदेश दिया है।

‘नए भारत’ की ओर अग्रसर होते देश पर भरोसा जताते हुए आचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित हुई है।

इस अवसर पर बोडो सलाहकार बोर्ड के संयोजक एवं साहित्यकार तरन चंद्र बोडो, असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत हजारिका, समाजसेवी हरिचरण शर्मा, एपिक स्टडी सेंटर, जोरहाट की सचिव डॉ. मालिनी सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश