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तामुलपुर (असम), 06 अप्रैल (हि.स.)। तामुलपुर ज़िले के पथालिकुचि में 4 अप्रैल से शुरू हुआ 32वां बाथौ महासभा सम्मेलन अपने पूर्ण गौरव के साथ जारी है। 6 अप्रैल को आयोजित खुले सत्र में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। विशेष अतिथि के रूप में बीटीसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोडो उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. सरमना अपने सारगर्भित संबोधन में बाथौ धर्म की महत्ता, सिजू वृक्ष से आत्मा का संबंध और पंचतत्वों की व्याख्या करते हुए कहा, बाथौ धर्म विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। बोडो समुदाय के लिए इससे श्रेष्ठ कोई धर्म नहीं है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि नई दिल्ली में असम भवन के लिए ली गई नई भूमि में नामघर के साथ सिजू वृक्ष की भी स्थापना की जाएगी, जिससे बाथौ धर्म की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हो सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार बाथौ थानचालियों को समर्थन देने के लिए तत्पर है। उन्होंने घोषणा की कि चिरांग, गोरेश्वर और तेजपुर के घोरामारी में बाथौ थानचाली और हेरिटेज सेंटर के नाम से तीन विशाल केंद्रों के निर्माण हेतु, कुल 15 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 100 अन्य बाथौ थानचालियों को 5-5 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पिछले दो वर्षों में सरकार ने 200 बाथौ थानचालियों को सहायता प्रदान की है।
बीटीसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोडो ने अपने संक्षिप्त भाषण में बाथौ धर्म को आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बताते हुए भारत के गृह मंत्री और असम के मुख्यमंत्री की सराहना की। उन्होंने कहा, बोडो समुदाय बाथौ धर्म की आध्यात्मिक चेतना से ही उन्नति की राह पर अग्रसर है।
इस अवसर पर लगभग 27,000 श्रद्धालु उपस्थित थे। सभा में बीटीसी प्रमुख कातिराम बोडो, राज्यसभा सांसद रन्गौरा नार्जारी, स्थानीय विधायक जलन दैमारी, बीटीसी के अन्य पदाधिकारी, जिला आयुक्त पंकज चक्रवर्ती, पुलिस अधीक्षक दिगंत कुमार चौधरी समेत प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारी, बाथौ महासभा के कार्यकर्ता तथा जनसमुदाय बड़ी संख्या में शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर