दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें
आरोपों को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में हुई शिकायत, जांच के निर्देश
दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें


दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें


दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें


दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें


दमोह-ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट,अनेक मौतें


आरोपों को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में हुई शिकायत, जांच के निर्देश

दमोह, 05 अप्रैल (हि.स.)। ईसाई मिशनरी सेवा के नाम पर अनेक अस्‍पतालों का संचालन कर रही हैं, लेकिन अनेक स्‍थलों पर इन चिकित्‍सालयों में सेवा नहीं धंधा हो रहा है, यहां तक कि जीवन की कीमत रुपयों से तय होने के बाद भी ये मिशनरी अस्‍पताल मौत का कारण बन रहे हैं, इसका एक नया प्रकरण सामने आया है। इस बार यह मध्‍य प्रदेश के दमोह में घटा हैं जहां संचालित मिशन अस्पताल कई लोगों की मौतों का जिम्‍मेदार है। वैसे चिकित्‍सक को भगवान नहीं तो जीवन के पुनर्जीवन के लिए भगवान से कम नहीं माना जाता, लेकिन यहां तो जो लोगों की नजरों में चिकित्‍सक था, वही लोगों को मार रहा था।

दरअसल, आरोप लगा है कि मिशन अस्पताल के कार्डियो विभाग में एक चिकित्सक के द्वारा जिन-जिन का ऑपरेशन किया गया, उनमें अधिकांश लोगों की मौत हो गयी। दमोह नगर के दीपक पिता जगदीश प्रसाद तिवारी निवासी जबलपुर नाका द्वारा पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में बताया गया कि मिशन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में पिछले माह जनवरी 2025 से फरवरी 2025 तक कई लोगों कि मृत्यु कार्डियोलॉजी विभाग मिशन अस्पताल दमोह के अयोग्य व अनाधिकृत डॉक्‍टर के इलाज से होना पाया गया है। उक्त मिशन अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में पिछले डेढ़ माह में डॉ. एन.जोन. केम द्वारा इलाज किया गया।

पूरे प्रकरण में शिकायतकर्ता दीपक तिवारी का कहना है कि “मिशन अस्पताल में हुई इस गंभीर अनियमितताओं के संबंध में जानकारी मिलने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है। जिस पर जांच के आदेश दिए गए हैं।” आरोप यह है कि डॉ. एन जोन केम जो कार्डियोलाजिस्ट बनकर अस्पताल में कार्य कर रहा था, उसका वास्तविक नाम नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव है, जो फर्जी नाम से मिशन अस्पताल के कार्डियो विभाग में कार्य कर रहा था और उसके गलत इलाज से ही मरीजों की मौत हुई है। यह तथाकथित चिकित्‍सक पूर्व में भी लगातार विवादों में रहा है और इसलिए वह किसी एक स्‍थान पर लम्‍बे समय तक नहीं रह पाया, यहां आने के बाद इसकी गतिविधियों के बारे में मिशन अस्‍पताल को सभी जानकारी थीं, पर उसके बाद भी अस्‍पताल का प्रबंधन चुप रहा । कहा यहां तक जा रहा है कि यह तथाकथित कॉर्डियोलोजिस्‍ट ईसाई बन चुका है, इसलिए इसकी गलतियों को लगातार यहां का प्रबंधन नजर अंदाज करता रहा है।

प्रबंधन को भी रखा कठघरे में

इस मामले में मिशन अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लोगों पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि अस्पताल में कार्डियोलाजी विभाग में जितने लोगो कि मृत्यू हुई है, उसकी सूचना भी संबंधित थाने या अस्पताल चौकी को नहीं दी गई है। साथ ही गलत इलाज से मृत व्यक्तियों के परिजनों समझा-बुझाकर उनसे मोटी फीस वसूल कर उन्हें बिना पोस्टमार्टम कराये परिजनों को शव ले जाने दिया गया। इस पूरे मामले में अस्पताल के प्रबंधक संजीव लेम्बर्ड व विजय लेम्बर्ड तथा दिलीप खरे भी दोषी बताए जा रहे हैं। जिसके चलते मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने इसकी जांच कराए जाने के आदेश प्रशासन को दिए हैं और इसके बाद यह मामला और अधिक सुर्खियों में आ गया है। वहीं, अस्पताल में भारत सरकार की एक अति महत्वपूर्ण योजना आयुष्मान कार्ड के घोटाले की चर्चा बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन का पक्ष अभी तक सामने नहीं आया है। फिलहाल तक कोई कुछ भी बोलने को और बताने को तैयार नहीं है।

इस संबंध में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्‍य प्रियंक कानूनगो ने कहा है कि “मिशनरी के अस्पताल में नक़ली डॉक्टर द्वारा ह्रदय रोग के उपचार के नाम पर रोगियों के ऑपरेशन किए जाने के दौरान 7 लोगों की अकाल मृत्यु का मामला प्रकाश में आया है।शिकायत के अनुसार उक्त मिशनरी अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से आच्छादित है इसलिए सरकारी राशि का दुरुपयोग भी किया गया है। मामला गंभीर प्रकृति का होने के चलते शिकायत पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने जाँच के आदेश दिए हैं।”

डॉक्टर को बताया विदेश से प्रशिक्षित-

मिशन अस्पताल दमोह में जिस डाक्टर पर गलत तरीके से चिकित्सा करने के आरोप हैं उसको विदेश में प्रशिक्षित चिकित्सक इस ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित अस्पताल द्वारा बताया गया था। सिर्फ अस्‍पताल प्रबंधन ही नहीं, स्‍वयं डॉ. एन जॉन केम ने स्वयं को विदेश से शिक्षित और प्रशिक्षित प्रदर्शित किया था। वहीं शिकायतकर्ताओं की माने तो उक्त डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. एन जॉन केम का स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है और उसने यूनाईटेड किंगडम के जानेमाने हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन केम के नाम का दुरूपयोग किया है। बताया यह भी जा रहा है कि यह जॉन केम सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से हैं और इस नाम के डॉक्टर द्वारा एक समाचार पत्र में उनकी पहचान एवं तथ्य छिपाए जाने का दावा भी किया गया है।

आयुष्यमान कार्ड का खेल-

भारत सरकार की एक अति महत्वाकांछी योजना आयुष्मान कार्ड का लाभ लेने और दिलाने को लेकर मरीजों को अस्पताल लाए जाने की बात भी सामने आई है। जानकारी के अनुसार मिशन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कुछ समय पूर्व ही अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग को शासन की योजना से जोड़ा गया था। लोग इस सुविधा के लाभ हेतु मिशन अस्पताल में अपनी चिकित्सा कराने आए थे और इसी आयुष्मान योजना के माध्यम से राशि निकाली जा रही थी। कहा यह भी जा रहा है कि जांच में आयुष्मान कार्ड को लेकर यहां काफी बड़ा घोटाल सामने आ सकता है। इस संबंध में सुधीर कोचर कलेक्टर दमोह का कहना है कि “मामले में शिकायत प्राप्त हुई थी जिसकी जांच की जा रही है, जांच प्रतिवेदन के आधार पर आगामी कार्यवाही की जाएगी।”

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

हिन्दुस्थान समाचार / हंसा वैष्णव