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सीकर, 4 अप्रैल (हि.स.)। सीकर के आईटीबीपी जवान रतनलाल गुर्जर (35) की शहादत के बाद शुक्रवार को 22 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। अजीतगढ़ थाने से सुबह शुरू हुई यह यात्रा उनके पैतृक गांव सांवलपुरा तंवरान (नीमकाथाना) के लोहा की ढाणी पहुंची। इस दौरान पूरे परिवार में गमगीन माहौल हो गया।
अंतिम दर्शन के समय शहीद की पत्नी बलेश देवी बार-बार बेहोश होती रही और एक बार फिर बेसुध हो गई। परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभालकर अंतिम दर्शन करवाए। वहीं, जवान की सबसे बड़ी बेटी रितिका अपनी छोटी बहन को गोद में लिए फफक-फफक कर रोती रही। घर पर अंतिम दर्शन के बाद जवान की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। घर के पास ही खेत में बड़े भाई के शहीद स्मारक के पास ही जवान का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
जिले के नीमकाथाना क्षेत्र के सांवलपुरा तंवरान गांव निवासी रतनलाल गुर्जर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल की 14वीं बटालियन में तैनात थे। गुरुवार को वे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में शहीद हो गए। वे जाजर देवल क्षेत्र में एक्टिव पेट्रोलिंग ड्यूटी पर थे, जहां ऊंचाई वाले इलाके में ऑक्सीजन की कमी के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
शहीद की पार्थिव देह शुक्रवार अलसुबह अजीतगढ़ पुलिस थाने लाई गई। सेना के फूलों से सजे ट्रक में पार्थिव शरीर को गांव तक ले जाया जाएगा। सुबह से ही ग्रामीणों की भीड़ शहीद के अंतिम दर्शन के लिए एकत्रित होने लगी थी।
तिरंगा यात्रा अजीतगढ़ पुलिस थाने से शुरू होकर हाथीदेह मोड़, मंडुस्या, हरिपुरा मोड़, हरदास का बास, बुर्जा, हाथीदेह, सांवलपुरा तंवरान होते हुए लोहा की ढाणी पहुंची।
शहादत की खबर मिलते ही गांव और आसपास के इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई। सांवलपुरा तंवरान का पूरा बाजार बंद रहा। दो गांवों में चूल्हे तक नहीं जले। सभी निजी स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्वीट कर शहीद को श्रद्धांजलि दी।
करीब एक माह पहले रतनलाल छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर लौटे थे। गुरुवार सुबह उन्होंने परिजनों से फोन पर बात की और बताया कि वे मिशन पर जा रहे हैं और दाे दिन में घर लौटेंगे। शहीद रतनलाल के परिवार में पत्नी बलेश देवी (29) और 3 बच्चे रितिका (8), यश कुमार (5) और गुड्डी (2) हैं। 2014 में रतनलाल की शादी हुई थी और उसी वर्ष वे आईटीबीपी में भर्ती हुए थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित