जबलपुर : हमारे सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करना ही मार्क्सवाद का उद्देश्य रहा है : कैलाशचंद्र
जबलपुर, 27 अप्रैल (हि.स.)। आज कल्चरल मार्कसिज्म अध्ययन समूह द्वारा कल्चरल मार्कसिज्म विषय पर विचार मंथन (ब्रेन स्टोर्मिंग) सत्र का पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशु पालन महाविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों के द्वारा भारत माता ए
हमारे सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करना ही मार्क्सवाद का उद्देश्य रहा है


जबलपुर, 27 अप्रैल (हि.स.)। आज कल्चरल मार्कसिज्म अध्ययन समूह द्वारा कल्चरल मार्कसिज्म विषय पर विचार मंथन (ब्रेन स्टोर्मिंग) सत्र का पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशु पालन महाविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया।

सर्वप्रथम अतिथियों के द्वारा भारत माता एवं मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया गया।

तत्पश्चात् डाॅ. राधा मिश्रा प्रांत संयोजिका कल्चरल मार्कसिज्म अध्येता समूह महाकौशल प्रांत ने मार्क्सवाद की विचारधारा पर प्रस्तावित एवं प्रासंगिक विषय रखा।

सुशील नामदेव दमोह ने बताया कि फेमिनिज्म, धर्मनिरपेक्षता, समलैंगिकता, मल्टीकल्चरिज्म, अन्य लैंगिक विषय, यौन स्वच्छंदता, शिक्षा में बदलाव, झूठे तथ्य एवं कथ्य थोपना आदि टूलकिट के माध्यम से मार्क्सवाद ने सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था को बिगाड़ने का काम किया।

डाॅ. रामायण पटेल भोपाल ने शिक्षा में मार्क्सवाद द्वारा किये गए उलटफेर, बदलाव पर अपना विषय रखा।

प्रो. मनीषा शर्मा अमरकंटक ने कला और मनोरंजन पर मार्क्सवाद के प्रभाव पर जानकारी रखी। उन्होंने बताया कि लोकगीत, फिल्मी गीत, फिल्मों में रीमिक्स आदि के द्वारा अश्लीलता परोसी गई है।

दीपक द्विवेदी ने पत्रकारिता एवं मीडिया में मार्क्सवाद के प्रभाव को रखा।

नकुल विश्वकर्मा छिंदवाड़ा ने राजनीति एवं सक्रियता में कल्चरल मार्कसिज्म के दुष्परिणामों पर अपने विचार व्यक्त किये। जातिगत राजनीति, वर्ग संघर्ष, समुदाय विशेष का तुष्टीकरण आदि कल्चरल मार्कसिज्म के दुष्परिणाम हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाशचंद्र जी ने अपने प्रबोधन में कहा कि भारत का अध्यात्म दुनिया में श्रेष्ठ जीवन पद्धति का परिचायक है। अपने प्रारंभ से ही कल्चरल मार्कसिज्म भेद, टकराव, भटकाव, संघर्ष, भ्रम खड़ा कर रहा है, भाषा, भूषा को विकृत कर रहा है। हमें कल्चरल मार्कसिज्म का षडयंत्र समझकर उससे बचने हेतु अपने एवं अपनों को शिक्षित करने की आवश्यकता है।

प्रांत कार्यवाह उत्तम बैनर्जी ने अपने उद्बोधन में भारत के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया एवं कल्चरल मार्कसिज्म के विषय पर लगातार अध्धयन जारी रखने का आग्रह किया।

विचार मंथन में कैलाशचंद्र जी भोपाल, विश्वजीत सिंह ग्वालियर, उत्तम बैनर्जी सतना, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्व विद्यालय के कुलगुरु डाॅ मंदीप शर्मा, अधिष्ठाता डाॅ राजेश कुमार शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ आदित्य मिश्रा, कुलसचिव डाॅ एस एस तोमर, विनोद दिनेश्वर, शिव नारायण पटेल, प्राध्यापक, अधिवक्ता, पत्रकार, शोध छात्र एवं अन्यान्य विद्वत जन उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक