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मुंबई, 26 अप्रैल (हि.स.)। बांबे हाई कोर्ट ने वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान (वीजेटीआई) को गोरेगांव स्थित सिद्धार्थ नगर यानी पत्रा चॉल में पुनर्वास इमारतों के निर्माण की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए अगले सोमवार तक दो विशेषज्ञों की नियुक्ति करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट में 73 वर्षीय पात्रा चॉल निवासी यमुना शेजवाल ने एक याचिका दायर कर काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि 671 लोगों को उपयुक्त वैकल्पिक स्थायी निवास के अधिकार से वंचित रखा गया है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए वीजेटीआई को इमारतों के ऑडिट के लिए दो विशेषज्ञों की नियुक्ति करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि किरायेदार लगभग 16 वर्षों से स्थायी वैकल्पिक आवास के लिए आंदोलन कर रहे हैं। अधिकांश किरायेदार अभी भी किराये के घरों में रह रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में लॉटरी की घोषणा की गई थी। लेकन याचिकाकर्ताओं ने आवंटित स्थान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
इमारतों की संरचनात्मक स्थिरता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। शेजवाल के वकील समीर वैद्य ने कहा कि लोग ऐसी इमारतों में कैसे रह सकते हैं? म्हाडा को ऐसी गलतियों की जिम्मेदारी लेनी होगी। म्हाडा के मुंबई बोर्ड के मुख्य अधिकारी मिलिंद बोरिकर ने बताया कि कब्जा लेने के एक वर्ष के भीतर आवश्यक किसी भी संरचनात्मक मरम्मत को म्हाडा द्वारा नियुक्त ठेकेदारों के माध्यम से मुफ्त में किया जाएगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने वीजेटीआई को संरचनात्मक ऑडिट करने का आदेश दिया। अदालत ने रेलकॉन इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड को वीजेटीआई द्वारा किए गए संरचनात्मक ऑडिट के लिए कानूनी फीस का भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार