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•जीएआरसी ने डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग से सरकार आपके द्वार के ध्येय को ध्यान में रखकर 10 नागरिक-केंद्रित सिफारिशें कीं
•आयोग की दूसरी रिपोर्ट में सार्वजनिक सेवाओं की आसान उपलब्धता में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर विशेष फोकस किया गया
गांधीनगर, 25 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री के विजन ‘विकसित भारत@2047’ को साकार करने के लिए गुजरात को ‘विकसित गुजरात@2047’ के रोडमैप के माध्यम से आगे रखने के लक्ष्य के साथ राज्य शासन के प्रशासनिक ढांचे और कार्य पद्धति में आवश्यक बदलाव के लिए गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग (जीएआरसी) का गठन किया है।
गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग के गठन की घोषणा के एक महीने के भीतर ही आयोग ने अपनी सिफारिशों की पहली रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी। जीएआरसी अध्यक्ष डॉ. हसमुख अढिया के मार्गदर्शन में इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, आयोग के अध्यक्ष डॉ. हसमुख अढिया ने आयोग गठन के दूसरे महीने में ही करीब 10 सिफारिशों के साथ दूसरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को सौंप दी है।
मुख्यमंत्री को सौंपी गई जीएआरसी की सिफारिशों की इस दूसरी रिपोर्ट में मुख्य रूप से डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग से ‘गवर्नमेंट एट योर डोर स्टेप’ यानी ‘सरकार आपके द्वार’ के ध्येय को ध्यान में रखते हुए 10 नागरिक-केंद्रित सिफारिशें की गई हैं।
जीएआरसी की सिफारिशों की इस दूसरी रिपोर्ट में जिन विषयों को शामिल किया गया है, उसमें मुख्य रूप से इन मुद्दों का समावेश किया गया है- (1)सुखद नागरिक अनुभव के लिए यूजर-फ्रेंडली सरकारी वेबसाइट बनाई जाएः सरकारी वेबसाइटों और एप्लीकेशनों की गुणवत्ता, पहुंच और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, जीएआरसी ने अगस्त-2025 तक सभी सरकारी वेबसाइटों का मूल्यांकन करने और भारत सरकार की वेबसाइटों और एप्लीकेशनों के लिए (GIGW 3.0) मार्गदर्शिका का पालन करने को कहा है। (2)नागरिक चार्टर को प्रभावशाली बनाया जाएः सिटीजन फर्स्ट के दृष्टिकोण के साथ सभी नागरिक सेवा वितरण विभागों के लिए सेवाओं और उन सेवाओं को प्रदान करने की समयसीमा, शिकायत निवारण प्रणालियों और जवाबदेही से संबंधित प्रणाली के विषय में पूरे विवरणों के साथ नागरिक चार्टर पर बना एक मजबूत सिस्टम विकसित किया जाएगा। (3)सरकारी सेवा वितरण पोर्टलों को सिटीजन फ्रेंडली बनानाः सभी सरकारी सेवाओं के लिए सिंगल साइन-ऑन बनाने की सिफारिश की गई है, ताकि एक कुशल इंटर ऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करते हुए नागरिकों को किसी भी सरकारी योजना या कार्यक्रम का लाभ एक ही स्थान से उपलब्ध हो सके। इसके अलावा, नागरिकों को विभिन्न लाभ प्राप्त करने के लिए समान प्रकार की डेमोग्राफिक और पहचान संबंधी जानकारियां अलग से दर्ज करने की प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। (4) टेक्नोलॉजी के माध्यम से सरकारी प्रमाण पत्रों के सत्यापन की व्यवस्था की जाएः सरकार के पारदर्शिता और जवाबदेही के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर, सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक प्रमाण पत्रों, लाइसेंसों, स्वीकृतियों एवं अन्य दस्तावेजों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए सरकार द्वारा टेक-इनेबल्ड क्यूआर-आधारित पद्धति विकसित की जाएगी। (5) शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म को एकीकृत, नागरिक-केंद्रित और व्यापक बनानाः सरकार मौजूदा ‘SWAGAT’ प्लेटफॉर्म को और अधिक व्यापक बनाकर विभिन्न शिकायत निवारण प्रणालियों को एकीकृत करेगी। यह एकीकृत प्लेटफॉर्म नागरिकों को उनकी शिकायतें दर्ज कराने के लिए कई चैनल उपलब्ध कराएगा। जैसे कि- ई-मेल, वॉट्सऐप, फोन कॉल्स और ऑनलाइन पोर्टल आदि। (6) प्रभावी ज्ञान प्रबंधन के जरिए संस्थागत ज्ञान को मजबूत बनानाः सरकार एक ‘नॉलेज ट्रांसफर प्रोटोकॉल’ विकसित करेगी, जिसके अनुसार सभी कर्मचारियों (चाहे वे स्थानांतरित हो रहे हों या सेवानिवृत्त हो रहे हों) को दूसरे आने वाले कर्मचारी को ‘नॉलेज ट्रांसफर’ दस्तावेज देना होगा, ताकि संस्थागत ज्ञान को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके। इसके अलावा, सरकार के विभागों और कार्यालयों को उनके कार्यालय द्वारा किए जाने वाले कार्यों के संदर्भ में ‘नो योर डिपार्टमेंट’ यानी ‘अपने विभाग को जानें’ की थीम पर मल्टीमीडिया सामग्री विकसित करनी होगी, जिससे कि नागरिकों को सरकारी कामकाज को समझने में मदद मिल सके। (7)सरकारी वाहनों के लिए वाहन निपटान प्रोटोकॉलः सरकार विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा उपयोग में लिए जाने वाले पुराने वाहनों के निपटान के लिए एक वाहन निपटान प्रोटोकॉल बनाएगी। साथ ही, अनुपयोगी वाहनों के निपटान की मौजूदा व्यवस्था को और अधिक आसान बनाने की सिफारिश भी की गई है। (8)सभी सार्वजनिक कार्यालयों के लिए अनुपयोगी फर्नीचर के निपटान का प्रोटोकॉलः इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार अगले छह महीने के भीतर सभी सार्वजनिक कार्यालयों में फर्नीचर निपटान प्रोटोकॉल विकसित करेगी, जिसके अनुसार अनुपयोगी फर्नीचर का निपटान किया जाएगा। (9) शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर अन्य कार्यालयों के लिए कार्यालय समय सुबह 9:30 से शाम 5:10 बजे तक किया जाए, ताकि प्रभावी कार्यदिवस प्रबंधन के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाई जा सकेः इस रिपोर्ट में कार्यक्षमता बढ़ाने और वर्क-लाइफ बैलेंस (काम और निजी जीवन के बीच संतुलन) के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए सरकार के क्षेत्रीय कार्यालयों सहित सभी सरकारी कार्यालयों-संस्थाओं का आधिकारिक कार्य समय सुबह 9:30 से शाम 5:10 बजे तक रखने की सिफारिश की गई है। (10)सरकार द्वारा सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोगः सरकार अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट्स के माध्यम से सरकार की ओर से की जाने वाली रोजाना की गतिविधियों तथा स्थानीय स्तर पर विभिन्न योजनाओं, सक्सेस स्टोरी से संबंधित इंफोग्राफिक्स, व्याख्यात्मक-स्पष्टीकरण वाले वीडियोज आदि को जनता तक आसानी से पहुंचाने के लिए कदम उठाएगी। इसके लिए सरकार सोशल मीडिया हैंडलिंग मार्गदर्शिका बनाएगी और सोशल मीडिया आउटरीच बढ़ाने के लिए प्रत्येक विभाग और उसके संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में जमीनी स्तर पर एक विशिष्ट कार्यबल भी स्थापित करने की सिफारिश की है।
जीएआरसी के अध्यक्ष डॉ. हसमुख अढिया ने बताया कि प्रशासनिक सुधार को लेकर जीएआरसी द्वारा अपनी पहली रिपोर्ट में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मयोगियों और आम जनता से सुझाव आमंत्रित करने की सिफारिश के संदर्भ में आयोग को अब तक 2150 से अधिक सिफारिशें और प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय