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इंफाल, 25 अप्रैल (हि.स.)। मणिपुर की इंफाल घाटी शुक्रवार को 24 घंटे के बंद के चलते पूरी तरह ठप हो गई। यह बंद 27 वर्षीय खोइसनाम सनाजाओबा की कथित हिरासत में मौत के विरोध में बुलाया गया था।
संयुक्त एक्शन कमेटी (जेएसी) द्वारा आयोजित इस बंद के चलते इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में स्कूल, बाजार और सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद रहे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और व्यावसायिक गतिविधियां लगभग ठप रहीं।
कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने कई संवेदनशील इलाकों—खुरई, लामलोंग और पोरोमपाट—में भारी सुरक्षा बल तैनात किए हैं। गुरुवार शाम को ही इन क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी, जिससे पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने और हथियार रखने पर पाबंदी लग गई थी।
खुरई, जो सनाजाओबा का गृह निर्वाचन क्षेत्र है, वहां हालात और ज्यादा तनावपूर्ण रहे। स्थानीय लोगों ने सड़कों पर टायर जलाए और रास्ते जाम कर दिए। जेएसी ने सरकार पर लापरवाही और निष्क्रियता का आरोप लगाया है। इस दौरान समिति ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
उल्लेखनीय है कि सनाजाओबा को 31 मार्च को प्रतिबंधित कांगलेइपक कम्युनिस्ट पार्टी से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 10 अप्रैल को उसे साजिवा स्थित मणिपुर केंद्रीय जेल में भेजा गया। मात्र तीन दिन बाद उसे जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
जेएसी और स्थानीय नागरिक समूहों, विशेष रूप से मीरा पैबियों ने सनाजाओबा को गांव का स्वयंसेवक बताते हुए न्याय और जवाबदेही की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। उनके धरना-प्रदर्शनों से पहले से ही जातीय हिंसा से जूझ रहे राज्य में बेचैनी और बढ़ गई है।
राष्ट्रपति शासन के तहत चल रहे मणिपुर में यह घटना एक और संकट की आहट बनकर उभरी है। जेएसी ने चेतावनी दी है कि यदि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच तुरंत शुरू नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश