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-अतिक्रमण हटाने अदालत आये याची को ही ठहराया अतिक्रमण का दोषी-जिलाधिकारी से कोर्ट ने पूछा कैसे हुआ मृत गवाहों की मौजूदगी में निरीक्षण
प्रयागराज, 25 अप्रैल (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अजीबो-गरीब मामला आया, जिसमें लेखपाल ने मृतकों की गवाही में अपनी मौके की निरीक्षण रिपोर्ट पेश की है।
मरे हुए लोगों की गवाही में तैयार रिपोर्ट की जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट को मिली तो जिलाधिकारी फतेहपुर को लेखपाल से जानकारी लेकर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि आखिर लेखपाल ने बहुत पहले मरे लोगों की गवाही में रिपोर्ट कैसे तैयार की।
इससे पहले जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर याची पर ही तालाब का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था। जिसे याची अधिवक्ता ने सिरे से खारिज कर दिया और बताया कि लेखपाल की 26 अक्टूबर 24 की रिपोर्ट में जिन दो गवाहों का जिक्र किया गया है उनमें से एक मिथुन सिंह उस गांव का है ही नहीं। दूसरे छेदीलाल की मौत 20 अप्रैल 2011 को हो चुकी है। जो है ही नहीं या बहुत पहले ही मर चुका है, उनकी गवाही के साथ रिपोर्ट तैयार कर याची को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया।
जगदीश शरण सिंह की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने की। जिला फतेहपुर की खागा तहसील के लेखपाल तालाब भूमि के अतिक्रमण की मौके की रिपोर्ट भेजने के लिए 26 अप्रैल 24 को मंझनपुर गांव गये थे। कहा गया कि याची ने ही अतिक्रमण किया है। भरोसा कर जिलाधिकारी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया। जिसे याची ने सिरे से खारिज कर दिया और लेखपाल की करतूत का खुलासा किया। कोर्ट ने जिलाधिकारी से 7 मई को निरीक्षण करने वाले लेखपाल से जानकारी लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीजेएम के मार्फत जिलाधिकारी फतेहपुर को अनुपालन हेतु भेजने का निर्देश दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे