गुजरात ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में पाई सफलता
-मार्च 2025 में गुजरात की खुदरा मुद्रास्फीति दर केवल 2.63 प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत से काफी कम है अहमदाबाद, 25 अप्रैल (हि.स.)। केन्द्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मार्च 2025 के लिए उपभोक
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल


-मार्च 2025 में गुजरात की खुदरा मुद्रास्फीति दर केवल 2.63 प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत से काफी कम है

अहमदाबाद, 25 अप्रैल (हि.स.)। केन्द्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मार्च 2025 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित गुजरात की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति दर केवल 2.63 प्रतिशत रही है, जो राष्ट्रीय औसत 3.34 प्रतिशत की तुलना में उल्लेखनीय रूप से लगभग 0.71 प्रतिशत कम है। यह दर कई बड़े और विकसित राज्यों की तुलना में भी कम है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ‘विजन विकसित गुजरात का, मिशन जन कल्याण का’ की प्रतिबद्धता के साथ राज्य के आधुनिक विकास के साथ ही, लोगों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में भी कार्य कर रही है। एक ओर जहां सरकार विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए उभरते क्षेत्रों के लिए नई नीतियां बना रही है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन की आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने के लिए भी विशेष प्रयास कर रही है।

गुजरात के गांवों में शहरों से कम महंगाई

गुजरात सरकार ने नीतिगत उपायों के जरिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में सफलता पाई है। सरकार के सक्रिय प्रयासों के चलते मार्च, 2025 के लिए राज्य की मुद्रास्फीति दर 2.63 फीसदी रही है। गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति 2.61 फीसदी पर नियंत्रित रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दर ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले कुछ अधिक यानी 2.70 फीसदी रही। ये दोनों आंकड़े राष्ट्रीय ग्रामीण औसत 3.25 फीसदी और राष्ट्रीय शहरी औसत 3.43 फीसदी की तुलना में काफी कम हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि केन्द्र व राज्य सरकार की ग्रामीण विकासोन्मुखी नीतियों के कारण राज्य के गांवों में खुदरा क्षेत्र में वस्तुएं सस्ती हुई हैं और गांवों में शहरों के मुकाबले महंगाई कम हुई है।

बड़े और विकसित राज्यों की तुलना में गुजरात का शानदार प्रदर्शन

गुजरात के कुशल मुद्रास्फीति प्रबंधन का ही नतीजा है कि उसने बड़े और विकसित राज्यों के मुकाबले मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के मामले में शानदार प्रदर्शन किया है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश (3.01%), बिहार (3.11%), मध्य प्रदेश (3.12%), राजस्थान (2.66%), छत्तीसगढ़ (4.25%), पश्चिम बंगाल (3.17%), कर्नाटक (4.44%), महाराष्ट्र (3.86%) और तमिलनाडु (3.75%) जैसे बड़े और विकसित राज्यों की तुलना में गुजरात 2.63% की दर के साथ मुद्रास्फीति पर काबू पाने में प्रभावी तरीके से सफल रहा है। वहीं, केरल 6.59% मुद्रास्फीति दर के साथ देश में सबसे अधिक महंगाई दर वाला राज्य बनकर उभरा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय