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-कोर्ट ने पक्षों से मांगे वाद बिंदु
प्रयागराज, 23 अप्रैल (हि.स.)। शहर उत्तरी प्रयागराज के भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी के चुनाव को रद्द करने की मांग में दाखिल चुनाव याचिका की इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका की पोषणीयता सहित अन्य आपत्तियों को कोर्ट ने निस्तारित कर दिया।
दोनों पक्षों को वाद बिंदु दाखिल करने का समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 05 मई नियत की है। इस दिन वाद बिंदु तय किए जायेंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एकलपीठ ने दिया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हर्षवर्धन बाजपेयी ने अपने नामांकन पत्र में कई झूठी जानकारियां दीं हैं, जैसे कि गलत शैक्षणिक योग्यता, सम्पत्ति विवरण में असत्य बातें और सोशल मीडिया की जानकारी छिपाना। साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया कि विधायक ने झूठे शपथ पत्र दिए और भ्रष्ट आचरण किया। इससे मतदाता भ्रमित हुए और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।
हर्षवर्धन की ओर से अधिवक्ताओं ने दलील दी कि याचिका में कई पैरा निरर्थक, अप्रमाणिक और अमर्यादित है। जिनमें कोई मौलिक तथ्य नहीं हैं। उन्होंने याचिका को रद्द करने की मांग की और कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उन्होंने दलील दी कि पहले के वर्षों के नामांकन पत्रों का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि मामला 2022 के चुनाव से सम्बंधित है।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कई पैरा को खारिज कर दिया, विशेषकर वे जो 2007, 2012 और 2017 के चुनावों से सम्बंधित थे। कोर्ट ने कहा कि पूर्व वर्षों की जानकारी 2022 के चुनाव में प्रासंगिक नहीं है। हालांकि, याचिका के कुछ पैरा को कोर्ट ने बरकरार रखा, जो 2022 के चुनाव में दाखिल हलफनामे की सच्चाई से सम्बंधित थे।
याची का कहना था कि उम्मीदवार के बारे में सही जानकारी मतदाता का अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। इस अधिकार का उल्लंघन मतदाता की चुनावी पसंद को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट के कुछ पूर्व मामलों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि गलत जानकारी देना गंभीर दोष है।
कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका में पूरी तरह से कोई ठोस आधार न हो, तभी उसे प्रारम्भिक चरण में खारिज किया जा सकता है। लेकिन इस मामले में कुछ तथ्य विचारणीय हैं। इसलिए याचिका आंशिक रूप से बरकरार रहेगी और मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ पैरा को हटाने से याचिका पूरी तरह खत्म नहीं होती। शेष मुद्दों पर आगे बहस होगी और साक्ष्यों के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे