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- डिग्री धारकों से सामाजिक समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को सशक्त बनाने का किया आह्वान
- माधवदेव विश्वविद्यालय ज्ञान का प्रसार कर रहा है और नैतिकता तथा सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा दे रहा है: राज्यपाल
लखीमपुर, 02 अप्रैल (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा है कि नारायणपुर की पावन भूमि पर स्थापित और असम की सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित माधवदेव विश्वविद्यालय केवल ज्ञान के प्रसार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों में नैतिकता, सेवा की भावना और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
नारायणपुर में बुधवार को माधवदेव विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में स्नातकों को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य रोजगार प्राप्त करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति के चरित्र, नैतिकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करना है। इसे ध्यान में रखते हुए, माधवदेव विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा को अपने पाठ्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में शामिल किया है। राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए इस अवसर पर माधवदेव और उनके पूज्य गुरु श्रीमंत शंकरदेव के प्रति गहरा सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की। आचार्य ने योग, एनएसएस, एनसीसी, रोवर और रेंजर को मूल्य आधारित अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने की विश्वविद्यालय की नीति की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल विद्यार्थियों को शैक्षणिक रूप से समृद्ध करेगी, बल्कि उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत करेगी।
राज्यपाल ने स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा, दीक्षांत समारोह प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है। यह केवल आपकी शिक्षा के औपचारिक समापन का प्रतीक नहीं है, बल्कि आपके ज्ञान और कौशल की वास्तविक परीक्षा की शुरुआत भी है। आपकी शिक्षा का वास्तविक मूल्य आपके परीक्षा अंकों से नहीं बल्कि समाज, राष्ट्र और मानवता के लिए आपके योगदान से आंका जाएगा।
उन्होंने कहा, आज जब आप इस विश्वविद्यालय से बाहर निकलें, तो याद रखें कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं है; यह समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी का आधार भी है। आप इस विश्वविद्यालय की परंपराओं, आदर्शों और शिक्षाओं के वाहक हैं। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का लोगों में निवेश करने का विजन तीन स्तंभों- शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य पर आधारित है। उन्होंने कहा कि उनके विजन के अनुरूप सरकार ने शिक्षा को अधिक प्रासंगिक और प्रभावी बनाने के लिए पुरानी व्यवस्था में सुधार करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की है। राज्यपाल ने कहा कि एनईपी 2020 भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा पर आधारित एक मजबूत शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करती है और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करती है तथा भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करती है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों से माधवदेव विश्वविद्यालय में प्राप्त ज्ञान, कौशल और अनुभव का सर्वोत्तम उपयोग करने और विभिन्न सामाजिक समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने का आह्वान किया।
आचार्य ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ज्ञान के प्रसार, कौशल संवर्धन और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार हैं, जो मिलकर राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान करते हैं। राज्यपाल ने माधवदेव विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि कम समय में ही विश्वविद्यालय ने शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान स्थापित कर ली है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय 15 स्नातक कार्यक्रम, 13 स्नातकोत्तर कार्यक्रम और 11 विभागों में पीएचडी कार्यक्रम संचालित करता है, जिसमें कुल 2,760 छात्र नामांकित हैं।
माधवदेव विश्वविद्यालय की एक अनूठी विशेषता बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि सभी स्नातक छात्रों के लिए अनिवार्य विषय के रूप में माधवदेव का अध्ययन करना एक सराहनीय पहल है, जो छात्रों को असम के महान वैष्णव संत की शिक्षाओं से परिचित होने में मदद करती है, जिससे उनमें नैतिकता और मानवता के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश