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कोलकाता, 19 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय महिला आयोग का जांच दल शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित बेतबोना क्षेत्र में पहुंचा। पीड़ित महिलाओं की नजर जैसे ही आयोग के सदस्यों पर पड़ी, वे उनको गले लगाकर फूट-फूट कर रोने लगीं। पीड़ित महिलाओं ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका सबकुछ जलकर राख हो चुका है। चार सदस्यीय जांच दल का नेतृत्व राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर कर रही हैं।
मुर्शिदाबाद जिले के सूती, धूलियान और शमशेरगंज क्षेत्रों में बीते दो सप्ताह से वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़की थी। आगज़नी, तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाओं ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया। इन घटनाओं के बाद बेतबोना में राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां कई पीड़ित परिवार शरण लिए हुए हैं।
आज जब राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम बेतबोना पहुंची तो महिलाएं प्लेकार्ड लेकर उनके सामने जुट गईं। उन्होंने आयोग के सामने अपनी सुरक्षा की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब तक इलाके में स्थायी बीएसएफ कैंप नहीं बनाया जाएगा, तब तक वे अपने घर नहीं लौट पाएंगी। कई पीड़ितों ने यहां तक कहा कि वे अपनी ज़मीन भी देने को तैयार हैं, बशर्ते उन्हें सुरक्षा मिल सके।
महिलाओं ने जांच दल के सदस्यों को बताया कि किस तरह उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया, दुकानें लूट ली गईं और परिवार के सदस्य जान बचाकर भागने को मजबूर हो गए। इस भयावह स्थिति में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को जंगलों में या शिविरों में छिपकर रहना पड़ा।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर और अन्य सदस्यों ने पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार विशेष रूप से गृह मंत्रालय इस पूरे घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए है और दिल्ली लौटकर इस दौरे की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस बीच शमशेरगंज के जाफराबाद में पिता-पुत्र हरगोविंद दास और चंदन दास की हत्या को लेकर भी आक्रोश है। पुलिस ने अब तक इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस हमले में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे और यह एक सुनियोजित हमला था।
मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम के संवेदनशील इलाकों में पुलिस अब तक 220 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है। अफवाहों से बचने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवा भी कई दिनों तक बंद रखी। महिलाओं ने महिला आयोग से अपील की कि प्रशासन को जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करनी चाहिए ताकि वे अपने घरों को लौट सकें। वहीं आयोग की टीम ने भी राज्य प्रशासन से संवेदनशीलता के साथ पीड़ितों की मदद करने का आग्रह किया है।------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर