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रांची, 19 अप्रैल (हि.स.)। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर रिम्स निदेशक हटाए जाने के मामले में प्रदेश की हेमंत सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि रिम्स निदेशक के हवाले से आयी खबरों से पता चल रहा है कि जीबी की बैठक में उनपर हेल्थमैप और मेडाल को अनुचित भुगतान करने का मौखिक दवाब बनाया जा रहा था, जबकि एजी की ऑडिट में इसपर आबजेक्शन किया जा चुका है।
मरांडी ने शनिवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि दलित समुदाय से आने वाले प्रतिभावान रिम्स निदेशक को अपमानित एवं प्रताड़ित कर बिना कारण पूछे और अपना पक्ष रखने का मौका दिये बगैर अकस्मात हटाने की यह बड़ी वजह बनी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देकर सच्चाई को सामने आने दें।
उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि चाहे पथ निर्माण विभाग हो या भवन निर्माण विभाग। ग्रामीण विकास विभाग हो या पेयजल विभाग। इन सारे “कामकाजी विभागों” में कहने के लिये तो ठेके-पट्टे देने और भुगतान करने के लिये विभागीय कमेटियां बनी हुई हैं लेकिन ऐसे सारे “कामकाजी कमाऊ” विभागों में ठेकेदारों का चयन, कार्य आवंटन, भुगतान से लेकर कार्य आवंटन के बाद अतिरिक्त काम के नाम पर एकरारनामा की राशि बढ़ाकर राशि का बंदर बांट कराने का काम सत्ताधारियों की मिलीभगत से विभागीय सचिवों के मौखिक निर्देश एवं दवाब पर ही संचालित एवं नियंत्रित किया जाता रहा है। इससे जो काली कमाई होती है उसका हिस्सा “ऊपर” तक जाता है।
उन्होंने कहा कि इस गोरखधंधे में पकड़े जाने पर बेचारे नीचे के पदाधिकारी दंडित हो जाते हैं। जो अधिकारी सचिवों के कहने पर ग़लत काम करने से आनाकानी करते हैं उन्हें रिम्स निदेशक राजकुमार की तरह बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ठेके-पट्टे आवंटन और भुगतान में इस संगठित एवं सुनियोजित लूट के गोरखधंधे को बंद कराने के लिये सख्त कदम उठाएं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे