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इटानगर, 19 अप्रैल(हि.स.)। अरूणाचल
प्रदेश निशी समुदाय ने शनिवार को रिची जुल्लांग स्थित निशी एलीट सोसायटी (नेस)
सचिवालय में 18वां
निशी दिवस मनाया गया और इस अवसर पर नेस के अध्यक्ष प्रो. ताना शोरेन ने नेस का
ध्वज फहराया।
इस अवसर पर प्रो. शोरेन ने निशी समुदाय को
शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज निशी समुदाय के लिए ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि हम 18वां निशी दिवस मना
रहे हैं। इसी दिन संसद ने निशी को जनजाति के रूप में मान्यता दी थी।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस दिन को निशी लोगों के लिए राज्य के सभी निशी आबादी
वाले क्षेत्रों में स्थानीय अवकाश के रूप में अधिसूचित इस साल जारी की है।
उन्होंने राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
निशी समुदाय की अपनी परंपरा, संस्कृति और संवादों
के संरक्षण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने सभी अभिभावकों को सलाह दी कि वे
अपने बच्चों को निशी संवाद सिखाएं, क्योंकि निशी संवाद
सिखाने के लिए कोई स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय नहीं है और अब सरकार ने प्रत्येक
स्कूल में स्थानीय संवादों के लिए तीसरी भाषा के रूप में एक पाठ्यक्रम शामिल करना
शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठन की मदद से राज्य सरकार ने “गुरुकुल” प्रणाली शुरू की है, जहां स्थानीय संवाद
सिखाए जा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इससे आने वाली पीढ़ी को अपने स्थानीय
संवाद सीखने में मदद मिलेगी।
निशी, राज्य की सबसे बड़ी
जनजाति है, इसलिए
हमें बेहतर विकास के लिए समाज और राज्य को सही दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभानी होगी।
नेस विशेष रूप से राज्य में पारिस्थितिक
संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीवन के संरक्षण और सुरक्षा पर जागरूकता के लिए भी
काम कर रहा है और इस मिशन को हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और आज हमने उन
लोगों को भी सम्मानित किया जिन्होंने मिशन में समर्थन और योगदान दिया।
इस मिशन के माध्यम से जनता द्वारा बड़ी
संख्या में बंदूकें और एयर गन सरेंडर की गई हैं।
इस
अवसर पर नेस ने विभिन्न धाराओं और विषयों के छात्रों को वार्षिक शैक्षणिक पुरस्कार
और छात्रवृत्ति 2024 भी प्रदान की। साथ ही, दिशा-निर्देशों के
अनुसार निशी विवाह प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए प्रशस्ति पत्र, विभिन्न क्षेत्रों
में पदोन्नति और नियुक्ति के लिए प्रोफेशनल अचीवर पुरस्कार भी दिए गए।
जनजाति का
नाम बदलकर निशी रखने की मांग निशी समुधाय ने बीते 1978 को शुरु किया गया था
फिर निशी नामकरण के लिए संवैधानिक संशोधन आखिरकार 2008 में किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी