राज ठाकरे का हिंदी विरोध राजनीति से प्रेरित, गिरफ्तार करने की मांग
मुंबई, 18 अप्रैल (हि.स.)। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे का हिंदी भाषा का विरोध सिर्फ राजनीति से प्रेरित है। इसलिए राज ठाकरे को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वरिष्ठ वकील गुणरत्न सदावर्ते ने मुंबई पुलिस को शुक्रवार को एक पत्र भे
फाईल फोटो: राज ठाकरे


मुंबई, 18 अप्रैल (हि.स.)। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे का हिंदी भाषा का विरोध सिर्फ राजनीति से प्रेरित है। इसलिए राज ठाकरे को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वरिष्ठ वकील गुणरत्न सदावर्ते ने मुंबई पुलिस को शुक्रवार को एक पत्र भेजकर इस तरह की मांग की है।

गुणरत्न सदावर्ते ने पत्रकारों से कहा कि राज ठाकरे जिस तरीके से हिंदी भाषा का विरोध कर रहे हैं, उससे लगता है कि उन्होंने या तो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पढ़ी नहीं है या फिर उन्हें कानून का ज्ञान नहीं है। सदावर्ते ने कहा कि राज ठाकरे के आंदोलन की प्रवृत्ति पूरी तरह से तालीबानी है। वे और उनका परिवार घर में सुरक्षित बैठा है और उनकी पार्टी के गरीब कार्यकर्ता आंदोलन के नाम पर सड़कों पर हैं और उन पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इस तरह का विरोध करने के लिए उकसाने वाले राज ठाकरे पर पुलिस को मामला दर्ज करके उन्हें तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए।

इस बीच आज राज ठाकरे ने फिर से दादर स्थित अपने आवास पर मनसे पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद राज ठाकरे ने कहा कि वे हिंदू हैं हिंदी नहीं। उन्होंने कहा कि प्रगति के नाम पर हमारी अस्मिता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, जो मान्य नहीं है। राज ठाकरे ने कहा कि अगर सरकार ने उन पर हिंदी भाषा लादने का प्रयास किया, तो संघर्ष अटल है। इसके बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई, ठाणे और पुणे में सरकार के विरुद्ध आंदोलन भी किया।

शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र मराठी प्रथम ही उनकी पार्टी का मुख्य एजेंडा है, लेकिन इस समय भाषा के नाम पर खेले जा रहे खेल के पीछे वोट की गहरी राजनीति है। इस राजनीति के तहत वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी है, यह भाषा सभी को आनी ही चाहिए। साथ ही हिंदी देश की संपर्क भाषा है, इसे सीखने में किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। अजीत पवार ने कहा कि कुछ लोग हिंदी का विरोध अनायास कर रहे हैं, जबकि विरोध का कोई मतलब ही नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव