Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
बलरामपुर, 18 अप्रैल (हि.स.)। बलरामपुर जिले के रामानुजगंज निवासी अभय सिंह लोगों के बीच इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए है। प्रधानमंत्री मुद्रा लोन से अभय के व्यवसाय को एक ऊंची उड़ान मिली है। लोन की राशि से अभय का सपना साकार हुआ है। अभय पेशे से शिक्षक है। रामानुजगंज के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में इंग्लिश के प्राचार्य है। पत्नी हाउस वाइफ है। बेटी झारखंड के धनबाद में रहकर पढ़ाई करती है। बेटा रामानुजगंज के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करता है।
सोशल मीडिया के द्वारा एक दिन अभय को चप्पल बिजनेस स्टार्ट करने का आइडिया आया। शुरुआती समय में पचास हजार रुपये की पूंजी से इसकी शुरुआत की। लेकिन मैनपावर और पैसों की कमी के कारण आगे चलकर कई समस्या आने लगी। इसी बीच किसी परिचित से प्रधानमंत्री मुद्रा लोन की जानकारी अभय को मिली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रधानमंत्री मुद्रा लोन की राशि से दिल्ली से मशीन और कच्चा माल मंगवाकर अपने घर से ही बिजनेस की शुरुआत की।
करीब एक जोड़ी चप्पल बनने में लगभग 16 मिनट लगते है। सबसे पहले शीट से लोहे की नाप को रखकर कटिंग मशीन से कटाई होती है। उसके बाद ग्राइंडर मशीन की मदद से फिनिशिंग दिया जाता है, फिर चप्पल के ऊपर प्रिंटिंग मशीन की सहायता से उसपर आकृति बनाई जाती है और चप्पल को अंतिम रूप देते हुए स्ट्रिप फिटिंग मशीन की मदद से चप्पल पर स्ट्रिप लगाए जाते है। इसके बाद चप्पल को डब्बे में पैक कर नजदीकी दुकानों में उपलब्ध करवाया जाता है।
चप्पल बनाने की लागत साइज पर निर्भर करता है। छोटे बच्चों के एक जोड़ी चप्पल बनाने की लगत 22-25 रूपये के बीच आती है। वहीं बड़ों के लिए के लिए 55-60 रूपये लागत आती है। एक जोड़ी चप्पल में 10 से 15 रूपये प्रॉफिट बनता है। इस स्टार्टअप में पूरा परिवार का योगदान रहता है। प्रतिदिन लगभग परिवार को एक हजार के आसपास कमाई हो जाता है। इसमें चप्पल बनाने में अभय की पत्नी भी योगदान देती है। अभय मार्केटिंग में ज्यादा ध्यान देते है।
अभय ने शुक्रवार को बताया कि आने वाले समय में इसका विस्तार करेंगे। जैसे-जैसे ग्राहक और सेल बढ़ते जाएगा। वैसे-वैसे एंप्लॉई की संख्या भी बढ़ाते जायेंगे। स्टार्टअप में परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है। मुद्रा लोन से 5.50 लाख रूपये प्राप्त हुए थे। सेल धीरे-धीरे बढ़ रही है। महीने में 35-40 रुपये की कमाई हो जा रही है। सालाना जोड़े तो 4-5 लाख रुपये हो जाएगा। बिजनेस शुरू किए अभी लगभग छह माह ही हुआ है। शुरुआत अच्छी है।बिजनेस से हमारी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आई है। फिलहाल कच्चा माल दिल्ली से मंगवाना पड़ रहा है। रायपुर में बात चल रही है। अगर रॉ मटेरियल मिलने लगेगा तो प्रोडक्ट के रेट में और कमी आएगी।
आगे उन्होंने बताया कि स्कूल और बिजनेस दोनों में समय दे रहा हूं। आने वाले समय में एम्पलाई भी रखूंगा जिससे काफी मदद मिलेगी। मेरा अभी मेन फोकस मार्केटिंग और प्रोडक्ट की क्वालिटी पर है। कम से कम दाम पर अच्छे प्रोडक्ट डिलीवर करना मेरा मुख्य उद्देश्य है।
अभय की पत्नी प्रियांशी बताती है कि मध्यम वर्गीय परिवार में एक प्राइवेट नौकरी से घर खर्च चलाना काफी दिक्कत होता है। अगर घर में कमाने वाला एक और खाने वाले चार हो तो और भी दिक्कत बढ़ जाता है लेकिन इस व्यवसाय से एक उम्मीद जागी है। शुरुआती दौर में 35-40 हजार रुपये की बिजनेस से कमाई हो रही है। जिससे घर चलाने में काफी सहायता मिल रही है। धीरे-धीरे सेल बढ़ रहा है। अब एम्पलाई रखना जरूरी हो गया है। पीएम मोदी को इसके लिए धन्यवाद करती हूं। प्रधानमंत्री ने मेरी जिंदगी बदल दी है। पहले बेटा और बेटी की प्राइवेट स्कूल खर्च निकालने में दिक्कत होता था। लेकिन अब सब सही से चल रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पाण्डेय