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कोलकाता, 18 अप्रैल (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में नियुक्ति रद्द मामलों और मुर्शिदाबाद की घटनाओं के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कूचबिहार के जिलाधिकारी कार्यालय की ओर मार्च निकाला लेकिन यह प्रदर्शन देखते ही देखते हिंसक टकराव में बदल गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और कई कार्यकर्ताओं को प्रिज़न वैन में भरकर थाने ले जाया गया।
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम मालदा पहुंची है। शुक्रवार को एबीवीपी के प्रतिनिधियों ने आयोग को एक लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें उन्होंने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत में कहा गया है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने अनावश्यक बल प्रयोग किया और उनके अधिकारों का हनन किया गया।
गुरुवार को एबीवीपी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग कर रहे थे और आरोप लगा रहे थे कि राज्य में हिन्दुओं की सुरक्षा खतरे में है। वे डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन सौंपना चाहते थे, लेकिन भारी पुलिस बंदोबस्त के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। जैसे ही कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के समीप जुटना शुरू किया, पुलिस ने धारा 163 का हवाला देते हुए इलाके को खाली कराने की कार्रवाई शुरू कर दी।
स्थिति तनावपूर्ण होती चली गई और पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कई बार पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के पीछे दौड़ लगाई और कुछ कार्यकर्ताओं को जबरन हिरासत में लिया गया। पुलिस वैन में बैठाए जाते समय एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हम हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए सड़क पर उतरे हैं, लेकिन बात पूरी भी नहीं कर पाए कि वैन आगे बढ़ा दी गई।
घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव बना हुआ है और भारी पुलिस बल तैनात है। हालांकि, अब तक किसी के घायल होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर