वडनगर स्थित भारत का पहला पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय बना सांस्कृतिक आकर्षण का केंद्र
•18 अप्रैल : विश्व धरोहर दिवस पर विशेष मेहसाणा, 17 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास भी, विरासत भी का सिद्धांत राष्ट्रीय प्रगति का मार्गदर्शक बना है। इस दृष्टिकोण को साकार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व
वडनगर में निर्मित इस अत्याधुनिक संग्रहालय


•18 अप्रैल : विश्व धरोहर दिवस पर विशेष

मेहसाणा, 17 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास भी, विरासत भी का सिद्धांत राष्ट्रीय प्रगति का मार्गदर्शक बना है। इस दृष्टिकोण को साकार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रही है, जो गुजरात को सांस्कृतिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

इस प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण वडनगर का पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय है, जो भारत और गुजरात की शाश्वत परंपराओं को समर्पित एक अनूठा स्मारक बनकर उभरा है। एक फरवरी 2025 को जनता के लिए खोले जाने के बाद से इस संग्रहालय ने मात्र 75 दिनों में लगभग 32,000 पर्यटकों का स्वागत किया, जो गुजरात के सांस्कृतिक पर्यटन की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्मस्थली वडनगर में निर्मित इस अत्याधुनिक संग्रहालय का लोकार्पण इसी वर्ष 16 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया था। 298 करोड़ रुपये की लागत से विकसित और 12,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला यह संग्रहालय देश का पहला पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय है, जो अपनी तरह की अनूठी अवधारणा के साथ एक जीवंत उत्खनन स्थल को डिजिटल तकनीक और भौतिक कथा-वाचन के माध्यमों से जीवंत अनुभव में बदल देता है। यह संग्रहालय न केवल भारत की पुरातात्विक समृद्धि को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ता है, बल्कि दर्शकों को एक अद्वितीय सांस्कृतिक यात्रा का अवसर भी प्रदान करता है।

2,500 वर्षों के मानव इतिहास का जीवंत चित्रण

यह संग्रहालय वडनगर की 2,500 वर्षों की समृद्ध विरासत की गहरी और जीवंत झलक प्रस्तुत करता है, जिसमें कला, वास्तुकला, व्यापार, शहरी नियोजन और प्रशासन के अद्वितीय समन्वय का अद्भुत चित्रण है। यह स्थल प्राचीन समय में अनार्तपुर, आनंदपुर, चमत्कारपुर, स्कंदपुर और नागरका के नामों से जाना जाता था और एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी था। यहां हिंदू, बौद्ध, जैन और इस्लाम जैसे विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व सदियों तक बना रहा।

वडनगर का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व जैन ग्रंथ ‘कल्पसूत्र’ और 7वीं सदी के प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा किए गए उल्लेखों में भी स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। इस संग्रहालय की नौ विषयगत गैलरियों के माध्यम से आगंतुक वडनगर की ऐतिहासिक यात्रा का साक्षात्कार कर सकते हैं, जहां वे इसके ज्ञान के केंद्र के रूप में उदय, स्थापत्य परंपराओं में योगदान और बहु-धार्मिक समरसता से निर्मित सामाजिक ताने-बाने को गहराई से महसूस कर सकते हैं।

वडनगर के पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय में क्या है खास?

संग्रहालय की विशिष्टता इसका सीधे 4,000 वर्ग मीटर में फैले एक वास्तविक उत्खनन स्थल से जुड़ाव है, जहां 16 से 18 मीटर गहराई में पुरातात्विक अवशेष दिखाई देते हैं। आगंतुक एक विशेष रूप से निर्मित पुल से गुजरकर इस स्थल का अवलोकन कर सकते हैं और एक एक्सपीरिएंशियल वॉकवे शेड में वास्तविक समय में चल रही उत्खनन गतिविधियों को निहार सकते हैं। साथ ही, संग्रहालय में 5,000 से अधिक कलाकृतियां जैसे कि मिट्टियों के बर्तन, सिक्के, आभूषण, उपकरण, मूर्तियां, शंख उत्पाद और कंकाल अंश व अनाज जैसे जैविक अवशेष भी इसी उत्खनन स्थल से प्राप्त किए गए हैं, जिन्हें इंटरेक्टिव इंस्टॉलेशन व डिजिटल प्रदर्शनों के माध्यम से व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है।

समावेशिता और विविधता का प्रतीक

वडनगर का पुरातत्व अनुभवात्मक संग्रहालय एक ऐसा स्थल बन गया है जो विविधता और समावेशिता की नई परिभाषा प्रस्तुत करता है। अब तक यहां पहुंचे 32,000 आगंतुकों में से लगभग 28 प्रतिश्त छात्र और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक हैं। आगंतुकों का एक बड़ा हिस्सा पूरे देश से आए वयस्कों और बच्चों का है, जबकि शेष में वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांगजन और अन्य विशेष श्रेणियां शामिल हैं, जो संग्रहालय की “सभी के लिए सुलभता” के प्रति प्रतिबद्धता को प्रगट करते हैं। इस संग्रहालय ने परिवारों, छात्रों, शोधकर्ताओं और विरासत-प्रेमियों के लिए एक जीवंत और प्रेरणादायक सीखने का केंद्र बना दिया है।

विरासत का उत्सव, पीढ़ियों को शिक्षा

वडनगर में इस संग्रहालय की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय विरासत दिवस की भावना के अनुरूप है, जो भारत की समृद्ध पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर उजागर करता है। यह संग्रहालय प्रौद्योगिकी, विरासत और शिक्षा को जोड़कर वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को अतीत से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय