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मुरादाबाद, 17 अप्रैल, (हि.स.)। अमेरिकी प्रशासन द्वारा टैरिफ की एकतरफा घोषणा डब्ल्यूटीओ नियमों का पूर्ण उल्लंघन है। यह भी सच है कि अमेरिका ने पहले भी डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन किया है, लेकिन इस बार उल्लंघन का पैमाना बहुत बड़ा है, क्योंकि ट्रंप ने सभी पर उच्च पारस्परिक टैरिफ लगाए हैं। यह बातें स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठन कश्मीरी लाल ने मुरादाबाद प्रवास के दौरान बुधवार को एमआईटी कालेज में आयाेजित प्रेस वार्ता के दौरान कहीं।
कश्मीरी लाल ने बताया कि बीते दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों से आने वाले सामानों पर उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसे वे पारस्परिक टैरिफ कहते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने विभिन्न देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगाने का विकल्प चुना है। इस संदर्भ में, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका अर्थ है कि भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सामानों पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगेगा।
कश्मीरी लाल ने कहा कि यह समझना होगा कि राष्ट्रपति ट्रम्प की यह शिकायत कि भारत अमेरिका से आने वाले माल पर अधिक शुल्क लगाता है, वैध शिकायत नहीं है, क्योंकि वे देश डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार अपने बाध्य टैरिफ की सीमा के भीतर आयात शुल्क लगाते हैं, जो पहले किए गए समझौतों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ के जन्म से पहले, विभिन्न देश अपने-अपने देशों में अपने उद्योगों की सुरक्षा के लिए आयात शुल्क के अतिरिक्त ‘मात्रात्मक प्रतिबंध’ (क्यूआर) भी लगाते थे। इसके साथ ही, विभिन्न देश अपने उद्योगों की सुरक्षा के लिए विदेशी पूंजी पर भी कई प्रकार के प्रतिबंध लगाते थे। अमेरिका और अन्य विकसित देश चाहते थे कि भारत और अन्य विकासशील देश अपने आयात शुल्क कम करें और ‘क्यूआर’ का उपयोग बंद करें ताकि उनके माल को इन गंतव्यों पर बिना किसी बाधा के निर्यात किया जा सके।
कश्मीरी लाल ने बताया कि इसके साथ ही, वे यह भी चाहते थे कि विकासशील देश विकसित देशों की पूंजी को अपने देशों में प्रवेश करने दें, अपने बौद्धिक संपदा कानूनों में बदलाव करें, कृषि पर समझौता करें और सेवाओं को व्यापार वार्ता का हिस्सा बनने दें। विकासशील देश इस सबके लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में विकसित देशों ने विकासशील देशों को उच्च आयात शुल्क लगाने की अनुमति दी ताकि वे विकसित देशों की नई मांगों को मान लें। ऐसे में विकासशील देशों को जब उच्च आयात शुल्क लगाने की अनुमति दी गई और यह कोई दान नहीं बल्कि एक सौदा था। ऐसे में अगर अमेरिकी प्रशासन अब यह कहता है कि भारत अमेरिका से अधिक शुल्क लगा रहा है, तो उनका तर्क जायज नहीं है।
इस दौरान डॉ. राजीव कुमार, डॉ. एके अग्रवाल, कुलदीप सिंह, कपिल नारंग, प्रशांत शर्मा, हिमांशु मेहरा, पूनम चौहान, नीलम जैन, अंजू त्रिपाठी, राजेश खन्ना प्रदीप शर्मा एवं अन्य जिलों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल