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कानपुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। कविता संक्षेप में आध्यात्मिक साधना का एक रूप है। जहां कवि किसी अनुभव में गहराई से डूब जाता है और उसे शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है। वसंत हमेशा से कवियों के लिए एक प्रिय मौसम रहा है। एक ऐसा समय जब दिल ताज़ा भावनाओं से भर जाता है और शब्द सहज रूप से कविता का रूप ले लेते हैं। प्रकृति के इस उत्सव में, मनुष्य भी सहज रूप से कविता, शायरी और ग़ज़लों की ओर आकर्षित होते हैं।
अपनी परंपरा को कायम रखते हुए भारतीय संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) ने वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए परिसर में एक अनूठी साहित्यिक संध्या, वसंत काव्योत्सव (वसंत काव्योत्सव) का आयोजन किया, जो न केवल एक साहित्यिक सभा थी, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी थी। जो आईआईटी को अन्य तकनीकी संस्थानों से अलग करती है।
यह कार्यक्रम हिंदी साहित्य सभा, राजभाषा प्रकोष्ठ और शिवानी सेंटर फॉर नर्चर एंड रीइंटीग्रेशन ऑफ हिंदी एंड अदर लैंग्वेजेज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जो साहित्य प्रेमियों को कविता, शायरी (उर्दू कविता) और ग़ज़लों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों, प्रोफेसरों और स्टाफ सदस्यों के प्रदर्शन से हुई।
कार्यक्रम में दर्शकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और हर प्रस्तुति के बाद उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाईं। कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया और भविष्य में इस तरह की और भी साहित्यिक संध्याओं की आशा व्यक्त की।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप