शिक्षा से संवेदना और जीवन मूल्यों का विकास आवश्यकः डॉ जितेन्द्र सिंह
-सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका विषय पर गोष्ठी का आयोजन नई दिल्ली, 15 अप्रैल (हि.स.)। भारत विकास परिषद, दिल्ली प्रान्त (उत्तर) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली में सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका व
भारत विकास परिषद, दिल्ली प्रान्त (उत्तर) की ओर से संगोष्ठी का आयोजन


केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह भारत विकास परिषद की संगोष्ठी को संबोधित करते  हुए


-सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका विषय पर गोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली, 15 अप्रैल (हि.स.)। भारत विकास परिषद, दिल्ली प्रान्त (उत्तर) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली में सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया।

गोष्ठी के मुख्यातिथि प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेन्द्र सिंह ने समाज निर्माण में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आज का जो विषय है, यह किसी को सिखाया नहीं जा सकता। शिक्षा केवल लोगों में भावना उत्पन्न कर सकती है। शिक्षा प्राप्त करने से यह आवश्यक नहीं कि समरसता और संस्कार आ जाएं।

केंद्रीय मंत्री ने कई महापुरुषों के वक्तव्यों को साझा करते हुए भारत की ताकत पर जोर दिया। देश के बंटवारे को लेकर कहा कि देश के पढ़े-लिखे लोगों ने ही देश का बंटवारा कराया। वहीं नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि भविष्य में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। पुरानी शिक्षा को लेकर कहा कि मुझे यह हैरानी हुई कि लोग इसे कैसे झेलते रहे।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि आज का विषय बहुत महत्वपूर्ण है। बीते दिनों डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई, जिनका आज के विषय से गहरा नाता है। अंबेडकर ने संविधान में सभी में एकता की भावना उत्पन्न करने के लिए इस विषय को जोड़ा। उन्होंने आगे भारतीय संस्कृति पर जोर देते हुए कहा कि एक हैं तो सेफ हैं यह बिल्कुल सही कहा जा रहा है। वहीं वक्फ कानून को लेकर बंगाल में हुई हिंसा पर कहा कि कानून का विरोध हो सकता है, लेकिन जिस प्रकार की हिंसा हुई वह गलत है।

विशिष्ट अतिथि कर्नल सिंह जी, राष्ट्रीय संयोजक (संपर्क- भारत विकास परिषद) एवं पूर्व निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए केवल शिक्षा नहीं, बल्कि लोगों की सोच में भी बदलाव की आवश्यकता है। वोटबैंक की राजनीति के लिए लोगों को बहकाया जा रहा है। आज के युवाओं को अपने रोल मॉडल को सही ढंग से चुनना होगा।

प्रो. बलराम पाणी जी, डीन ऑफ कॉलेजेस, दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षा प्रणाली की वर्तमान चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ युवाओं को अपने संस्कारों पर भी काम करना होगा।

भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन ने परिषद के उद्देश्य, कार्यपद्धति एवं सेवा-संस्कार आधारित दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हाल ही में अंबेडकर जयंती मनाई गई। उन्होंने लोगों को शक्ति दी। भारत विकास परिषद के अंदर सेवा की भावना है। समरसता का भाव जागृत करना ही परिषद का उद्देश्य है। उन्होंने आगे बताया कि परिषद का प्रत्येक सदस्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक भारतीय जीवन मूल्यों को पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

गोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महापुरुषों ने देश को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। बाबा अंबेडकर ने देश की बंटी हुई सोच को जोड़ने का कार्य किया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी का विकास हो रहा है। वर्ष 2047 तक विकास के मुकाम को पूरा करने के लिए कार्य जारी है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविदों, समाजसेवियों, परिषद के पदाधिकारियों-सदस्यों और विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा