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नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय महिला हॉकी की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा कर दी है, जिससे एक असाधारण करियर का समापन हो गया। 320 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 158 गोल करने वाली वंदना भारतीय महिला हॉकी इतिहास में सबसे अधिक मैच खेलने वाली खिलाड़ी के रूप में विदाई ले रही हैं। आंकड़ों से कहीं अधिक, वह एक प्रेरणादायक धरोहर छोड़कर जा रही हैं, जो एक संघर्ष, संकल्प और भारतीय महिला हॉकी को उच्च शिखर पर पहुंचाने की अनवरत भूख की कहानी है।
एक युग का अंत
वंदना ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर अपने संन्यास की घोषणा की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, “यह निर्णय आसान नहीं था, लेकिन मुझे पता है कि अब सही समय है। हॉकी मेरी जिंदगी रही है, और भारतीय जर्सी पहनना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान था। लेकिन हर यात्रा का एक अंत होता है, और मैं गर्व, आभार और खेल के प्रति अपार प्रेम के साथ छोड़ रही हूं। भारतीय हॉकी अच्छे हाथों में है, और मैं हमेशा इसकी सबसे बड़ी समर्थक रहूंगी। उन्होंने लिखा, “मैं अपने कोच, टीम साथियों, समर्थन कर्मचारियों, हॉकी इंडिया, परिवार और सभी फैंस का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मेरे साथ हर कदम पर समर्थन किया। उनके हर एक चीयर, संदेश और प्रोत्साहन ने मुझे बहुत कुछ दिया।
शानदार करियर और ऐतिहासिक क्षण
वंदना का हॉकी में सफर एक छोटे से गांव रौशनाबाद, हरिद्वार से शुरू हुआ था, जहां से वह अपने सपने को सच करने के लिए निकली थीं। वंदना ने 2009 में सीनियर टीम में पदार्पण किया और तब से लेकर आज तक उन्होंने कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इनमें दो ओलंपिक (रियो 2016, टोक्यो 2020), दो एफआईएच हॉकी महिला विश्व कप (2018, 2022), तीन कॉमनवेल्थ गेम्स (2014, 2018, 2022) और तीन एशियाई खेल (2014, 2018, 2022) शामिल हैं। वंदना की टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसमें 2016 और 2023 में महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी, 2022 में एफआईएच हॉकी महिला नेशंस कप और 2018 एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पदक शामिल हैं।
टोक्यो ओलंपिक में रचा इतिहास
वंदना की टोक्यो ओलंपिक में तीन गोल की हैट्रिक हमेशा याद की जाएगी। यह गोल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में भारत की महत्वपूर्ण 4-3 की जीत में मददगार साबित हुए, जिससे भारत क्वार्टरफाइनल में पहुंचा और अंततः चौथे स्थान पर रहा—यह भारत का ओलंपिक हॉकी में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। वंदना ने इस बारे में कहा, “मैं आज भी टोक्यो के बारे में सोचकर रोमांचित हो जाती हूं। ओलंपिक खास होते हैं, और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वह मैच मेरे जीवन के सबसे भावुक मैचों में से एक था। मैं बस अपनी टीम और देश के लिए हर कुछ देना चाहती थी। हैट्रिक खास थी, लेकिन उससे ज्यादा यह साबित करना था कि हम इस मंच पर हैं।”
प्रतिष्ठित पुरस्कार
अपने अद्वितीय योगदान के लिए वंदना को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें अर्जुन पुरस्कार (2021) और पद्म श्री (2022) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें 2014 में हॉकी इंडिया बलबीर सिंह सीनियर अवार्ड, 2021 में हॉकी इंडिया प्रेसिडेंट्स अवार्ड और 2021-22 में हॉकी इंडिया धनराज पिल्ले अवार्ड जैसे कई अन्य पुरस्कार भी मिले।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप टिर्की ने वंदना के योगदान को सराहा और कहा, वंदना सिर्फ गोल स्कोरर नहीं थीं, वह भारतीय हमले की धड़कन थीं, एक मेहनती खिलाड़ी और उदाहरण के रूप में नेता थीं। उनका योगदान भारतीय हॉकी की बढ़ती स्थिति में अहम रहा है, और उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेंचमार्क स्थापित किया है।
हॉकी इंडिया के सचिव भोला नाथ सिंह ने वंदना की यात्रा को प्रेरणादायक बताया और कहा, वंदना का सफर असाधारण रहा है। उनकी प्रदर्शन, खासकर टोक्यो ओलंपिक में, आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा। उनका योगदान भारतीय हॉकी के लिए अमूल्य है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे