पिछली सरकार ने पर्यावरण नियमों को दरकिनार कर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया : सिरसा
- 7,643 मामलों में एक ही सेंटर पर एक समय में दो वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी किए गए-मोनो रेल, लाइट रेल ट्रांजिट व इलेक्ट्रिक ट्रॉली बस जैसी योजनाओं की घोषणा के बाद कोई प्रगति नहीं हुई नई दिल्ली, 1 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली के पर्यावरण मं
दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा


- 7,643 मामलों में एक ही सेंटर पर एक समय में दो वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी किए गए-मोनो रेल, लाइट रेल ट्रांजिट व इलेक्ट्रिक ट्रॉली बस जैसी योजनाओं की घोषणा के बाद कोई प्रगति नहीं हुई

नई दिल्ली, 1 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में वाहन वायु प्रदूषण रोकथाम और शमन पर निष्पादन की सीएजी की रिपोर्ट पर सदन में चर्चा के दौरान कहा कि पिछली सरकार ने पर्यावरण नियमों को दरकिनार कर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया। उन्होंने कहा कि 1.08 लाख से अधिक ऐसे वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसी) जारी कर दिया गया, जो तय मानकों से अधिक प्रदूषण फैला रहे थे। इससे पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हुआ। इस कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा।

मंत्री ने मंगलवार को बताया कि सीएजी की रिपोर्ट में 76,865 वाहनों की प्रदूषण जांच एवं पीयूसी सार्टीफिकेट मात्र एक मिनट में पूरी की गई जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं। यह दर्शाता है कि कैसे नियमों की धज्जियां उड़ाकर प्रदूषण नियंत्रण के तय मानक का मजाक बना दिया गया।

वहीं, 7,643 मामलों में एक ही सेंटर पर एक समय में दो वाहनों को पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिससे यह साफ होता है कि बिना किसी जांच के ही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे थे। यह लापरवाही पीयूसी सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हैं।

मंत्री ने बताया कि डीटीसी बसों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, डीटीसी बसों का एक बड़ा हिस्सा मरम्मत और मेंटेनेंस की कमी के कारण सड़कों पर चलने के लायक नहीं रह गए। कुल उपलब्ध बसों में से 14 प्रतिशत से 16 प्रतिशत बसें लगातार रिपेयर और मेंटेनेंस के चलते चल नहीं पाईं।

इसके अलावा जून 2021 में 380 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए जारी टेंडर को भी रोका गया। साल 2022 में सिर्फ 2 इलेक्ट्रिक बसें डीटीसी के बेड़ें में शामिल की गईं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर में देरी हुई। पिछली सरकार ने रूट रेशनलाइजेशन अध्ययन के लिए 3 करोड़ रुपये आवंटित किए, लेकिन पैसा खर्च होने के बाद यह योजना अधूरी छोड़ दी गई।

मंत्री ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि पिछली सरकार के नेताओं ने सिर्फ सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाया और जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं किया। मोनो रेल, लाइट रेल ट्रांजिट और इलेक्ट्रिक ट्रॉली बस जैसी योजनाओं की घोषणा जरूर हुई, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्मोक टावर परियोजना पर 22 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन यह प्रदूषण नियंत्रण में प्रभावी साबित नहीं हुई।

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के अध्ययन के लिए एक करार किया था। हालांकि, दिसंबर 2020 में दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने तकनीकी कारणों से यह परियोजना अचानक बंद कर दी, लेकिन फिर भी 87.60 लाख रुपये का भुगतान किया गया। मंत्री ने यह भी बताया कि ऑड-ईवन स्कीम के प्रचार पर 53 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन इस योजना से वाहन प्रदूषण में कोई ठोस कमी नहीं आई।

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हिन्दुस्थान समाचार / Dhirender Yadav