आईआईटी के सहयाेग से सस्टेनेबल मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर और उभरती प्रौद्योगिकियों पर हुआ सेमिनार का आयोजन
कानपुर, 06 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना और सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से भोपाल सैन्य स्टेशन पर उभरती प्रौद्योगिकियों और संधारणीय बुनियादी ढांचे पर केंद्रित एक ऐतिहासिक संगोष्ठी का आयोजन किया। ट्रांसफॉर्मीनग द इंडियन आर्मी
कार्यक्रम के दौरान ली गयी ग्रुप फोटो


कानपुर, 06 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना और सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से भोपाल सैन्य स्टेशन पर उभरती प्रौद्योगिकियों और संधारणीय बुनियादी ढांचे पर केंद्रित एक ऐतिहासिक संगोष्ठी का आयोजन किया। ट्रांसफॉर्मीनग द इंडियन आर्मी विद न्यू कन्स्ट्रक्शन टेक्नोलॉजीस ग्रीन एनर्जी एण्ड क्लाइमेट-रिज़िल्यन्ट इंफ्रास्ट्रक्चर शीर्षक वाले इस कार्यक्रम में सैन्य तत्परता और पर्यावरणीय स्थिरता के महत्वपूर्ण अंतर संबंध को संबोधित करने के लिए प्रमुख संस्थानों और उद्योग जगत के अग्रणी विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया।

यह सेमिनार अप्रैल 2023 में सीडब्ल्यूई झांसी और आईआईटी कानपुर के बीच एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से स्थापित सफल साझेदारी पर आधारित है, जो कार्बन-न्यूट्रल सैन्य स्टेशन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में तीन प्रमुख क्षेत्रों इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजीज, रिन्यूएबल एनर्जी इंटीग्रेशन और क्लाइमेट-रिज़िल्यन्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यापक पैनल चर्चा की गई। कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएसडी, सीडीआरआई, टीईआरआई और बीएमटीपीसी सहित प्रमुख संस्थानों के प्रतिष्ठित प्रतिभागियों ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया।

आईआईटी कानपुर रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने गुरूवार काे कहा, ये सेमिनार सैन्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईआईटी कानपुर की शोध विशेषज्ञता को भारतीय सेना की परिचालन आवश्यकताओं के साथ जोड़कर, हम स्थायी सैन्य प्रतिष्ठानों के लिए एक खाका तैयार कर रहे हैं जो दुनिया भर के सशस्त्र बलों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा। हमारा संस्थान इस महत्वपूर्ण पहल में योगदान करने पर गर्व करता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ तकनीकी नवाचार को जोड़ता है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप