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वाराणसी, 31 मार्च (हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी में वासंतिक चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर श्रद्धालु आदिशक्ति के दरबार में दिव्य शक्ति के प्रति अटूट विश्वास का नजारा दिख रहा है। जिलेभर के देवी मंदिरों में दर्शन और पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। देवी का दरबार पवित्र और दिव्य आभा से भरा नजर आ रहा है। आस्था, भक्ति और श्रद्धा का यह पर्व देख विदेशी पर्यटक चकित है।
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन (सोमवार) को परंपरागत रूप से नौ गौरी के दर्शन-पूजन की परंपरा का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने ज्येष्ठा गौरी के नखास, काशीपुरा स्थित दरबार में हाजिरी लगाई।
नवदुर्गा के पूजन के क्रम में ब्रह्माघाट स्थित ब्रह्मचारिणी देवी के दरबार में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। दरबार में रात तीन बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया था। काशी में मान्यता है कि माता भगवती के ब्रम्हचारिणी रूपी अलौकिक स्वरूप के दर्शन से पापों का नाश होता है। उनके दिव्य स्वरूप की आराधना से भक्तों में तप, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य की भावना निरंतर बढ़ती है।
देवी के दोनों प्रमुख मंदिरों के साथ-साथ नगर के सभी प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। दरबारों में माला-फूल, धूपबत्ती और लोहबान की सुगंध ने वातावरण को दिव्य बना दिया। भोर से लेकर पूरे दिन तक दरबारों में गूंजती घंटियों की आवाज और जयकारों सांचे दरबार की जय... ने शहर को देवीमय बना दिया।
मंदिरों के अलावा मठों और घर-आंगनों में भी वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशदी, दुर्गा चालीसा और आरती पाठ की श्रृंखला चलती रही। कुछ भक्तों ने नौ दिनों के व्रत का संकल्प लिया, जबकि कुछ ने विशेष रूप से पहले और अंतिम दिन के व्रत का पालन कर देवी के दर्शन किए।
दुर्गाकुण्ड और अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें
दुर्गाकुण्ड स्थित कुष्माण्डा देवी के दरबार में दर्शन के लिए लंबी कतारें लगीं। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर दुर्गाकुंड पोखरे के आखिरी छोर और कबीरनगर त्रिमुहानि तक श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। भक्त हाथों में पूजन सामग्री से सजी टोकरी, थाली और लाल चुनरी लेकर माता के दरबार में मत्था टेकते हुए मंगल जीवन की कामना कर रहे थे। नगर के चौसट्टी देवी, मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर, संकठा मंदिर, माता कालरात्रि देवी मंदिर, तारा मंदिर, सिद्धेश्वरी मंदिर, और कमच्छा स्थित कामाख्या मंदिर सहित विभिन्न देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का रेला अलसुबह से उमड़ता रहा।
चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन पूजन का महत्व
चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन (तृतीया) को माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है। इस रूप को चित्रघंटा भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि माँ के इस रूप के दर्शन और पूजा से नरक से मुक्ति, सुख, समृद्धि, विद्या और संपत्ति की प्राप्ति होती है। माँ के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना होता है और वे सिंह पर सवार होती हैं। उनकी दस भुजाएँ होती हैं और एक हाथ में कमण्डल भी होता है।
इस दिन नवगौरी के दर्शन-पूजन में सौभाग्य गौरी का भी विशेष महत्व है। इनका मंदिर ज्ञानवापी परिसर के सत्यनारायण मंदिर में स्थित है। शास्त्रों के अनुसार, गृहस्थ आश्रम में महिलाओं के सुख-सौभाग्य की अधिष्ठात्री गौरी ही हैं। महिलाएँ इस दिन माता से अपने पति के कल्याण और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी