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-विश्वविद्यालय में सम्वत्सरव्यापी चतुर्वेद विश्वकल्याण महायज्ञ सम्पन्न
वाराणसी, 31 मार्च (हि.स.)। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 68वां स्थापना दिवस सोमवार को यज्ञ-पूजन के बीच मनाया गया। स्थापना दिवस पर ही परिसर में विशिष्ट-जनों के सहयोग से संचालित सम्वत्सरव्यापी चतुर्वेद विश्वकल्याण महायज्ञ भी सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने यज्ञ के स्वरूप, वैशिष्ट्य को बताया। उन्होंने कहा कि यह महायज्ञ विश्वविद्यालय द्वारा वैदिक परम्परा, भारतीय ज्ञान-परम्परा एवं विश्वशान्ति के उद्देश्य से एक वर्ष तक अनवरत संचालित किया गया। यज्ञ में चारों वेदों—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद का नियमित संगीतमय पाठ हुआ। आचार्यों एवं याज्ञिक ब्राह्मणों ने प्रतिदिन वैदिक ऋचाओं के उच्चारण के साथ आहुतियाँ दी। जिससे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिसिंचित हुआ। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वैदिक ज्ञान परम्परा, धर्मसंस्कृति एवं राष्ट्रधर्म के संवर्धन की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध हुआ है।
इसके पहले स्थापना दिवस पर वेद भवन में कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय परिवार के कल्याण एवं राष्ट्र वैभव उत्थान के लिये शक्ति समाराधन किया गया। जिसमें वेद विभाग के आचार्यों ने दुर्गासप्तशती पाठ, गौरी-गणेश का विधि-विधान से षोडशोपचार विधि के साथ पूजन किया। यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वेदपाठी ब्राह्मणों, विद्वानों, आचार्यों एवं संत-महात्माओं के साथ-साथ प्रो० रामपूजन पाण्डेय, प्रो. हरिशंकर पाण्डेय, प्रो. दिनेश गर्ग, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. शैलेश मिश्र, प्रो. महेन्द्र पाण्डेय आदि ने भी भागीदारी की।
विश्वविद्यालय का सफर
यह विश्वविद्यालय मूलतः 'शासकीय संस्कृत महाविद्यालय' था जिसकी स्थापना सन् 1791 में की गई थी। वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ जिसमें हजारों पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं। 22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय' था। सन् 1974 में इसका नाम बदलकर 'सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय' रख दिया। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सत्र 2023-24 में विश्वविद्यालय वाराणसी में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई। इसके अलावा आज ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड, वेद, अर्चक, संस्कृत भाषा, पालि, योग, वेदान्त,प्राकृत एवं नवीन पाठ्यक्रमों की श्रृंखला में मन्दिर प्रबंधन आदि विषयों के त्रैमासिक , षाण्मासिक एवं वार्षिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे है ।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी