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कोलकाता, 31 मार्च (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाल ही में ब्रिटेन दौरे के दौरान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केलॉग कॉलेज में दिए गए भाषण के दौरान हुए विरोध को लेकर तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता देबांशु भट्टाचार्य ने पार्टी नेताओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के कई नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
देबांशु भट्टाचार्य, जो तृणमूल कांग्रेस के आईटी सेल के प्रभारी भी हैं, ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा, मैं पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधियों और नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे सर्वोच्च नेता (ममता बनर्जी) के अपमान के खिलाफ आवाज उठाएं। याद रखें कि आप सभी आज जिस पद पर हैं या जिन महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं, वह पार्टी और नेता की वजह से ही संभव हुआ है। आप जो पहचान रखते हैं, वह भी पार्टी की ही देन है।
उन्होंने चुप रहने को पार्टी के साथ विश्वासघात करार दिया और सवाल उठाया कि हमेशा कुछ ही लोग पार्टी की तरफ से बोलते हैं और फिर ट्रोल होते हैं, जबकि बाकी चुप रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम कुछ ही लोग हमेशा लड़ते हैं, हमेशा बोलते हैं और फिर ट्रोल होते हैं। हमारी भी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं। अगर हम चुप नहीं रहे, तो आप क्यों पीछे हट रहे हैं?
भट्टाचार्य ने पार्टी के उन नेताओं पर भी सवाल उठाया जो चुनाव लड़कर विभिन्न पंचायतों, नगर पालिकाओं, विधानसभा और संसद तक पहुंचे लेकिन अब चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपको चुप ही रहना था, तो फिर चुनाव क्यों लड़ा ?
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कभी भी किसी संकट के समय पीठ दिखाने की प्रवृत्ति नहीं अपनाई। उन्होंने कहा कि चाहे हमारे नेता अभिषेक बनर्जी के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई हो या आर.जी. कर अस्पताल की त्रासदी, मैं कभी चुप नहीं रहा। इसलिए ऑक्सफोर्ड में जो हुआ, उस पर भी मैं चुप नहीं रह सकता।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देबांशु भट्टाचार्य तृणमूल कांग्रेस के भीतर लंबे समय से चल रहे नए बनाम पुराने गुट के विवाद में नए खून का समर्थन करने वाले नेता के तौर पर उभर रहे हैं। उनके बयान को पार्टी के पुराने नेताओं के खिलाफ एक सीधा हमला माना जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर