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नई दिल्ली, 30 मार्च (हि.स.)। भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) ने लोकसभा में पारित त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल 2025 का स्वागत किया। इस ऐतिहासिक कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे और सहकारी क्षेत्र को आधुनिक शिक्षा व अनुसंधान से जोड़ा जाएगा।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि भारत को 75 साल बाद पहला सहकारी विश्वविद्यालय मिल रहा है। यह विश्वविद्यालय नए नेतृत्व को प्रशिक्षित करेगा और सहकारी आंदोलन को और सशक्त बनाएगा।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने इस पहल को भारतीय कृषि, किसानों और ग्रामीण विकास के लिए बड़ा कदम बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।
इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय सहकारी नेतृत्व को नई दिशा देगा। यहां सहकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों को व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वे आधुनिक प्रबंधन और विपणन में कुशल बनेंगे।
विश्वविद्यालय की प्रमुख विशेषताएं:
- हर साल 8 लाख छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- सहकारी संगठनों के कर्मचारियों के लिए विशेष कोर्स।
- स्थानीय से वैश्विक स्तर तक सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
- नवाचार और अनुसंधान पर जोर दिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सहकारी संघ (आईसीए) के महानिदेशक जेरोन डगलस ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि यह वैश्विक सहकारी आंदोलन को मजबूती देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा