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जौनपुर,29 मार्च (हि.स.)। तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग द्वारा शनिवार को सामाजिक परिवर्तन में सोशल मीडिया की भूमिका पर एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई। विशेषज्ञों ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया को वैश्विक स्तर पर एक नई क्रांति बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष एवं अनु. सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो. मनोज ने कहा कि सोशल मीडिया की शुरुआत अपने ज्ञान, शोध,जन विचार एवं लोक संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने के लिए हुई थी, लेकिन आज वर्तमान परिदृश्य में सोशल मीडिया बाजारवाद से जुड़ चुकी है। दुनिया को सबसे ज्यादा जोड़ने वाला सूचना तंत्र का साधन सोशल मीडिया है, जिसमें लगभग भारत के सौ करोड़ लोग इस समय जुड़े हुए हैं, सोशल मीडिया का वर्तमान स्वरूप यह हो गया है कि लोगों का व्यक्तिगत जीवन भी सार्वजनिक जीवन में प्रसारित होता जा रहा है। प्रो.मिश्र ने कहा कि साहित्य, पुराणों एवं मानस की चौपाइयों द्वारा सामाजिक जीवन को सोशल मीडिया प्रभावित कर रही है।अध्यक्षता कर रहे प्रो. प्रकाश सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया नैतिक शिक्षा का माध्यम होना चाहिए ,लेकिन भौतिकवादी युग में हम लोग सोशल मीडिया के द्वारा डिजिटल अरेस्ट होते जा रहे हैं, क्यों कि बहुतायत लोग दिन भर मोबाइल ही चलाते रहते हैं। प्राचार्य प्रो. राम आसरे सिंह ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में सोशल मीडिया ने एक क्रांति ला दिया है, यह सूचना का एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जिसमें निम्न, मध्यम एवं उच्च वर्गो के विचारों को सभी जन मानस तक पहुंचाया जाता है, सोशल मीडिया के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष दोनों हैं । कार्यक्रम संयोजक प्रो. हरिओम त्रिपाठी ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन में सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। सोशल मीडिया द्वारा सामाजिक संबंधों सामाजिक क्रियाओं में एक अभाव बोध की स्थिति पैदा हो गई है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि सोशल मीडिया के आने से अभिव्यक्त की स्वतंत्रता का स्वरूप बदल गया है। कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ संतोष कुमार ने किया, आभार ज्ञापन डॉ. पूनम मिश्रा द्वारा किया गया । कार्यक्रम में प्रो. हिमांशु सिंह, डॉ. विजय कुमार सिंह, प्रो. सुषमा सिंह, प्रो. सुभाष चंद्र बिश्नोई, प्रो.राजदेव दुबे और डॉ. विपिन कुमार सिंह मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव