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पहले दिन भोर से ही गौरी स्वरूप में मुख निर्मालिका और शक्ति स्वरूपा जगतजननी शैलपुत्री का दर्शन पूजन
वाराणसी,29 मार्च (हि.स.)। काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी वासंतिक चैत्र नवरात्र में आदि शक्ति के गौरी और जगदम्बा स्वरूप के पूजन अर्चन के लिए तैयार है। शनिवार को आधी रात के बाद से ही दोनों देवी मंदिर में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ेगा। चैत्र नवरात्र के पहले दिन की पूजा अर्चना के लिए पूरे दिन लोग तैयारी में जुटे रहे। घरों में घट स्थापना नवरात्र भर पाठ बैठाने की तैयारी चलती रही। पहले दिन से ही पूरे जिले में छोटे बड़े देवी मंदिरों के अलावा घरों में दुर्गा सप्तशदी, चंडीपाठ और हवन पूजन शुभ मुहूर्त में होगा।
चैत्र नवरात्र में पहले दिन (प्रथमा) को गायघाट स्थित मुखनिर्मालिका गौरी और अलईपुर स्थित भगवती शैलपुत्री का दर्शन होगा।
बताते चलें इस बार चैत्र नवरात्र 09 दिन के बजाय आठ दिन का ही है। तिथियों में परिवर्तन के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं। पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण आठ दिनों की नवरात्र होगी। 30 मार्च रविवार से छह अप्रैल चलने वाले नवरात्रि के दिनों में पांच विशेष योग भी बन रहे है। ज्योतिषविदों के अनुसार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रविवार को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। घट स्थापना की कुल अवधि 50 मिनट की रहेगी। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरूआत शनिवार को शाम 04 बजकर 27 मिनट से हुई। इसका समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के मान के चलते चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रविवार को मनेगी और इसी दिन से चैत्र नवरात्र की शुरूआत होगी।
—चैत्र नवरात्र में बाबा विश्वनाथ की नगरी में गौरी पूजन का विधान
भारतीय नए संवत्सर के साथ शुरू होने वाले वासंतिक नवरात्र में माता के नौ गौरी स्वरूप के पूजन अर्चन का विधान काशी नगरी में है। पहले दिन मुखनिर्मालिका गौरी के दर्शन का विधान है। देवी का विग्रह गायघाट के हनुमान मंदिर में स्थापित है। दर्शन पूजन के क्रम में दिन ज्येष्ठा गौरी का दर्शन होता है। देवी का मंदिर कर्णघंटा भूत भैरव मोहल्ले में है। तृतीया तिथि पर सौभाग्य गौरी के दर्शन का विधान है। सौभाग्य गौरी का विग्रह विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी स्थित सत्यनारायण मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित है। देवी के इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। श्रृंगार गौरी का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पृष्ठ भाग में है। मां गौरी के विशालाक्षी स्वरूप का दर्शन पूजन वासंतिक नवरात्र में पंचमी तिथि पर किया जाता है। देवी का मंदिर मीरघाट मोहल्ले में धर्मकूप के निकट है। वासंतिक नवरात्र के छंठवें दिन मां ललिता गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। ललिता देवी का मंदिर ललिता घाट के निकट है। वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन भवानी गौरी का दर्शन पूजन किया जाता है। भवानी गौरी का मंदिर विश्वनाथ गली में अन्नपूर्णा मंदिर के निकट स्थित श्रीराम मंदिर में है। वासंतिक नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मंगला गौरी का दर्शन पूजन किया जाता है। देवी का मंदिर पंचगंगा घाट के निकट स्थित है। वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन नवमी तिथि पर महालक्ष्मी गौरी के दर्शन-पूजन का विधान है। देवी का मंदिर लक्ष्मीकुंड के पास है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी