देश में एक साथ चुनाव से देश का होगा विकास : सुनील बंसल
जयपुर, 25 मार्च (हि.स.)। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने मंगलवार को राजधानी जयपुर में एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान को लेकर युवा, छात्र एवं नवमतदाता संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। जेएलएन मार्ग स्थित पंचायती राज संस्थान के सभागार में
संवाद कार्यक्रम


जयपुर, 25 मार्च (हि.स.)। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने मंगलवार को

राजधानी जयपुर में एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान को लेकर युवा, छात्र एवं

नवमतदाता संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया।

जेएलएन मार्ग स्थित पंचायती राज

संस्थान के सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बंसल

ने कहा कि देश में एक साथ चुनाव होते है तो देश में राजनीति कम होगी और देश

का विकास ज्यादा होगा। दीर्घकालीन सरकारों पर केवल विकास का ही दबाव होगा,

युवाओं को अधिक अवसर मिलेंगे और देश में परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली

पार्टियों को नुकसान होगा। इतना ही नहीं, राजनीतिक वैमनस्यता कम होगी और

वर्क परफॉर्मेंस की पॉलिटिक्स को बढ़ावा मिलेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र

मोदी का विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की दिशा में यह कदम मील का

पत्थर साबित होगा।

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने

कहा कि लोकतंत्र में मतदाता सर्वोपरि होता है, लेकिन पिछले 30 सालों से

लगातार हर साल चुनाव प्रक्रिया चलने से देश के मतदाता में कहीं ना कहीं

निरसता आई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीबन 40 प्रतिशत

लोग मतदान ही नहीं कर रहे लेकिन एक साथ लोकसभा, राज्य विधानसभा चुनाव कराने

और इसी दौरान 100 दिनों में अन्य निकायों के चुनाव संपन्न कराने से मतदाता

की निरसता भी दूर होगी और एक स्वस्थ एवं मजबूत लोकतंत्र की ओर देश बढ़ेगा।

वहीं दूसरी ओर बार बार चुनाव कराने से आर्थिक बोझ भी देश की अर्थव्यवस्था

पर पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार गत लोकसभा चुनाव में करीबन 1 लाख 37 हजार

करोड़ तक का खर्चा आया था। इस लोकसभा चुनाव में एक वोट का खर्चा करीबन 1400

रुपए पड़ा। ऐसे में इस व्यवस्था को समय के अनुकूल बदलाव करने से देश की

अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक एक साथ चुनाव

कराने से देश की जीडीपी में करीबन 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जो विकसित

भारत की दिशा में बेहद कारगर साबित होगी।

भाजपा के राष्ट्रीय

महामंत्री सुनील बंसल ने बताया कि एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा नई

व्यवस्था नहीं है। संविधान को अंगीकार करने के बाद 1951 से 1967 तक

लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे। हालाँकि

इसके बाद कुछ राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने, चौथी लोकसभा समय

से पहले भंग कर दी गई और फिर आपातकाल की घोषणा के कारण पांचवीं लोकसभा का

कार्यकाल अनुच्छेद 352 के तहत 1977 तक बढ़ा दिया गया था। इन घटनाक्रमों ने

एक साथ चुनाव के चक्र को अत्यंत बाधित किया, जिसके कारण देश भर में चुनावी

कार्यक्रमों में बदलाव का मौजूदा स्वरूप सामने आया है। लेकिन हमें इस

स्वरूप को बदलते हुए फिर से पुरानी व्यवस्था के प्रति आमजन को जागरूक करना

होगा और इस जन जागृति अभियान को देशभर में चलाकर एक राष्ट्र एक चुनाव की

व्यवस्था का समर्थन करना होगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने

युवा, छात्र एवं नव मतदाता संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि

विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक राष्ट्र एक चुनाव

महत्वपूर्ण कदम है। देश की समृद्धि के लिए, देश के विकास के लिए और व्यर्थ

के खर्चे से बचने के लिए हम सभी को एक मुखी होकर इस जन जागृति अभियान में

महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। देश के विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से

संयुक्त संसदीय कमेटी के सामने एक राष्ट्र एक चुनाव के समर्थन में प्रस्ताव

जाना चाहिए। यह अभियान सर्वव्यापी अभियान बनाना चाहिए। एक ओर प्रधानमंत्री

नरेंद्र एक राष्ट्र एक चुनाव की दिशा में कार्य कर रहे है, वहीं दूसरी ओर

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी एक राज्य, एक चुनाव की अवधारणा पर कार्य कर

रहे है।

राठौड़ ने कहा कि भारत सरकार ने दाे

सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ

चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य

यह पता लगाना था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना

कितना उचित होगा। समिति ने इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर सार्वजनिक और

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मांगीं थी। देश के 47 राजनीतिक दलों ने इस विषय पर

अपने विचार प्रस्तुत किए। इनमें से 32 दलों ने संसाधनों के सर्वाेत्तम

उपयोग और सामाजिक सद्भाव जैसे लाभों का हवाला देते हुए एक साथ चुनाव कराने

का समर्थन किया। समिति ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, पूर्व चुनाव

आयुक्तों और विधि विशेषज्ञों से परामर्श किया। इनमें से अधिकाधिक लोगों ने

एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा का समर्थन किया। एक

राष्ट्र एक चुनाव अभियान के प्रदेश संयोजक सुनील भार्गव ने कार्यक्रम की

प्रस्तावना रखी। भार्गव ने कहा कि देश में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन

129वां विधेयक है। इस विधेयक के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक

राष्ट्र एक चुनाव करवाने के पक्ष में है लेकिन सांसदों की मांग पर इस

विधेयक को जेपीसी में भेजा गया, जहां पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की

अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी। इस

समिति ने बताया कि एक साथ चुनाव कराने से सरकार का ध्यान विकासात्मक

गतिविधियों और जन कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियों के

कार्यान्वयन पर केंद्रित होगा। चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के

कार्यान्वयन से नियमित प्रशासनिक गतिविधियां और विकास संबंधी पहल बाधित

होती हैं। यह व्यवधान न केवल महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति में

बाधा डालता है, बल्कि शासन संबंधी अनिश्चितता को भी जन्म देता है। एक साथ

चुनाव कराने से आचार संहिता के लंबे समय तक लागू होने की संभावना कम होगी,

जिससे नीतिगत निर्णय लेने में देर नहीं होगी और शासन में निरंतरता संभव

होगी। वहीं एक साथ चुनाव आयोजित होने से, सरकारी अधिकारियेां की बार-बार

चुनाव ड्यूटी की आवश्यकता कम हो जाएगी, जिससे सरकारी अधिकारी और सरकारी

संस्थाएं चुनाव-संबंधी कार्यों के बजाय अपनी प्राथमिक भूमिकाओं पर अधिक

ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। इससे होने वाले आर्थिक लाभों में संसाधनों का

अधिक कुशल आवंटन और बेहतर राजकोषीय प्रबंधन शामिल हैं, जो आर्थिक विकास और

निवेशकों के विश्वास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देता है।

संवाद

कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा, नाहर सिंह जोधा,

मुकेश दाधीच, प्रदेश मंत्री पिंकेश पोरवाल, पूर्व सांसद रामचरण बोहरा,

विधायक कल्पना देवी, भाजपा जयपुर शहर जिलाध्यक्ष अमित गोयल, जयपुर देहात

जिलाध्यक्ष राजेश गुर्जर सहित भाजपा के पदाधिकारी, मोर्चा, विभाग और

प्रकोष्ठ के संयोजक सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता, युवा और

छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित