Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। स्थानीय आबादी को वामपंथी उग्रवादियों (एलडब्ल्यूई) के प्रभाव से दूर रखने के लिए केंद्र सरकार ने सिविक एक्शन प्रोग्राम को लागू करने के लिए 2014-15 से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को 196.23 करोड़ रुपये जारी किए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। केंद्र सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलियों को खत्म करना है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवादियों (एलडब्ल्यूई) के प्रभाव से स्थानीय लोगों को दूर रखने के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) द्वारा नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें स्थानीय लोगों के कल्याण के लिए चिकित्सा शिविरों और कौशल विकास जैसे विभिन्न नागरिक कार्यकलापों का आयोजन किया जा रहा है। 2014-15 से सीएपीएफ को 196.23 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार ने नक्सल समस्या से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने बताया कि सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए, वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों के लिए 2 विशिष्ट योजनाओं अर्थात् सड़क आवश्यकता योजना (आरआरपी) और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) के अंतर्गत 17,589 किलोमीटर सड़क स्वीकृत की गई है। इसमें से 14,618 किलोमीटर का निर्माण हो चुका है।
राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए 10,505 मोबाइल टावर लगाने की योजना बनाई गई है, जिनमें से 7,768 टावर चालू हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि कौशल विकास के लिए 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 61 कौशल विकास केन्द्र (एसडीसी) स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 46 आईटीआई और 49 एसडीसी कार्यरत हैं। जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 255 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 178 ईएमआरएस कार्यरत हैं। इसके अलावा वित्तीय समावेशन के लिए डाक विभाग ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 5731 डाकघर खोले हैं। 1007 बैंक शाखाएं और 937 एटीएम खोले गए हैं और सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 37,850 बैंकिंग संवाददाता (बीसी) चालू किए गए हैं। विकास को और गति देने के लिए, विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) के अंतर्गत, वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है। 2017 में योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 3,563 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशिष्ट योजनाओं के अलावा, गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के इष्टतम कार्यान्वयन के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ निकट समन्वय में काम करता है। वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों को अब तक 21,15,936 स्वामित्व विलेख वितरित किए गए हैं। इनमें 20,15,337 व्यक्तिगत और 1,00,599 सामुदायिक हैं।
उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के जनजातीय युवाओं तक पहुंचने के लिए जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम (टीवाईईपी) आयोजित किए जा रहे हैं। टीवाईईपी के माध्यम से आदिवासी युवाओं को देश के अन्य भागों में विकास गतिविधियों और तकनीकी व औद्योगिक उन्नति से अवगत कराया जाता है और उन्हें देश के अन्य भागों के लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव विकसित करने और उन्हें आकांक्षी बनाने में सक्षम बनाया जाता है। कार्यक्रम का उद्देश्य वामपंथी उग्रवादियों के झूठे प्रचार का मुकाबला करना भी है। 2014-15 से अब तक 32500 युवाओं ने इन कार्यक्रमों में भाग लिया है।
उन्होंने बताया कि नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और भौगोलिक विस्तार सीमित हुआ है। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की घटनाएं और इसके परिणामस्वरूप नागरिकों और सुरक्षा बलों की मृत्यु 2010 के उच्च स्तर से 2024 में क्रमशः 81 प्रतिशत और 85 प्रतिशत कम हुई हैं। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अप्रैल 2018 में 126 से घटकर 90, जुलाई 2021 में 70 और अप्रैल-2024 में 38 हो गई।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार