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-डीजीपी को आदेश के पालन में ढिलाई की जांच चार सप्ताह में पूरी करने का निर्देश
प्रयागराज, 25 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ निवासी दो नाबालिग बच्चों द्वारा अपनी मां से भरण पोषण मांगने के मामले में दोनों पक्षों को सात अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर वकीलों के न्यायिक कार्य से विरत होने के कारण बच्चों एवं मां के अधिवक्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके। लेकिन मामले की गंभीरता के मद्देनजर चिनहट पुलिस द्वारा बच्चों की मां ज्योति सक्सेना को पेश करने के कारण न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने शासकीय अधिवक्ता एके संड की सहायता से मामले की सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान ज्योति सक्सेना अपने पति पर दोनों बच्चों को छीनकर ले जाने का आरोप लगाया। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को अगली तिथि पर मौजूद रहने का निर्देश दिया। डीजीपी की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया कि हाईकोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में डीजीपी (पुलिस आवास निगम) को जांच अधिकारी बनाया गया है एवं लखनऊ के पुलिस कमिश्नर, डीसीपी (ईस्ट), थानाध्यक्ष चिनहट एवं दरोगा मोहित कुमार के विरुद्ध विभागीय जांच प्रारम्भ कर दी गई है।
हाईकोर्ट ने उक्त सभी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध चार सप्ताह में जांच पूर्ण कर कोर्ट के निबंधक (अनुपालन) को जांच आख्या प्रेषित करने का निर्देश दिया है। बच्चों के पिता प्रशांत सक्सेना के अधिवक्ता रजत ऐरन ने बताया कि उनकी ओर से प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं कानूनी परिस्थिति से कोर्ट को अगली सुनवाई पर अवगत कराया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे