आईआईटी के शोधकर्ताओं ने रक्तस्राव नियंत्रित करने के लिए हेमोस्टेटिक स्पंज किया विकसित
कानपुर, 24 मार्च (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग (एमएसई) के शोधकर्ताओं ने समुद्री घास और सेल्यूलोज से बने हेमोस्टेटिक स्पंज के विकास के साथ आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल में एक बड़ी सफलता हा
आईआईटी कानपुर


कानपुर, 24 मार्च (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग (एमएसई) के शोधकर्ताओं ने समुद्री घास और सेल्यूलोज से बने हेमोस्टेटिक स्पंज के विकास के साथ आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल में एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस प्रयोग के एक मिनट के अंदर रक्तस्राव को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह नवाचार सड़क दुर्घटनाओं और दर्दनाक चोटों जैसी गम्भीर स्थितियों में आपातकालीन देखभाल को बदलने की क्षमता रखता है।

आईआईटी कानपुर के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विवेक वर्मा ने बताया कि यह हेमोस्टेटिक स्पंज भारत के प्राकृतिक संसाधनों को अत्याधुनिक मैटेरियल्स साइंस के साथ मिलाने का परिणाम है। समुद्री घास से प्राप्त अगर और सेल्यूलोज का उपयोग करके हमने एक बायोडिग्रेडेबल लागत प्रभावी समाधान विकसित किया है। जो टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं का समर्थन करते हुए जीवन बचा सकता है। यह आपातकालीन देखभाल में सुधार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच सीमित है।

पारम्परिक स्पंज के नमी सोखने वाले गुणों से प्रेरित होकर, यह नवाचार चोट वाली जगह से नमी सोखकर थक्के बनने की प्रक्रिया को तेज़ करता है। जिससे थक्के बनने का समय आठ मिनट से घटकर एक मिनट रह जाता है। हल्का और स्टोर करने में आसान, यह सड़क दुर्घटनाओं, सैन्य अभियानों या सीमित तत्काल चिकित्सा देखभाल वाली स्थितियों जैसी आपात स्थितियों में प्राथमिक चिकित्सा किट के लिए आदर्श है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप