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--राज्य सरकार से छह हफ्ते में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब --नियम की संवैधानिकता पर सरकार का पक्ष रखने को महाधिवक्ता को नोटिस
प्रयागराज, 24 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नियम 5(1) खंड तीन उप्र उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक (सिविल पुलिस) सेवा नियमावली 2015 की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। महाधिवक्ता को नियम की वैधता की चुनौती पर सरकार का पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने रेनू दूबे व पांच अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। इस नियम के तहत सीधी भर्ती की पाच फीसदी सीट पर ही अनुकम्पा नियुक्ति का उपबंध किया गया है। याची का कहना है कि इससे पांच फीसदी आश्रित की ही अनुकम्पा नियुक्ति हो सकेगी, जो इस दायरे में नहीं आयेंगे उन आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ नहीं मिलेगा। एक समान लोगों में असमानता व मनमानी है, जो असंवैधानिक है। इसे रद्द किया जाय। हालांकि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है, किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने पहले हाईकोर्ट जाने को कहा है।
बता दें कि, उत्तर प्रदेश उप निरीक्षक एवं निरीक्षक नागरिक पुलिस सेवा नियमावली में वर्ष 2015 में विशेष गजट द्वारा एक नोट प्रस्तुत किया गया था। जहां अनुकम्पा नियुक्ति के ऐसे आवेदन जो उप निरीक्षक पद के लिए थे वहां राज्य द्वारा नई नियमावली के अनुसार प्रतिबन्ध यह है कि ऐसे पद सीधी भर्ती के सापेक्ष उत्पन्न हुई रिक्तियों में अधिकतम 5þ तक सृजित किए जाएंगे। याची के अधिवक्ता द्वारा यह दलील दी गई कि यह नियमावली आश्रितों में भेदभाव की स्थिति उत्पन्न कर रही है। जहां अनुकम्पा नियमावली 1974 में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।
हाईकोर्ट द्वारा समय पर राज्य को इस नियमावली में पुनर्विचार करने एवं इसे वापस करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। किन्तु राज्य सरकार द्वारा कभी भी इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। इस मामले को लेकर पहले भी याचियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल की गई थी जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को गम्भीरता से लेते हुए एवं इस मामले का व्यापक प्रभाव देखते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद को जल्दी जल्दी सुनवाई करने एवं विचार करने का निर्देश दिया गया। इस क्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे