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जम्मू, 24 मार्च (हि.स.)। जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक नीति और लोक प्रशासन विभाग ने जम्मू और कश्मीर पुलिस के सहयोग से ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह ऑडिटोरियम, जम्मू में नए कानूनों की शुरूआत: भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 पर एक संवेदीकरण प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कुलपति प्रो. संजीव जैन के नेतृत्व में आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों, विद्वानों, संकाय सदस्यों और कानून प्रवर्तन कर्मियों को नए शुरू किए गए कानूनी ढाँचों और उनके निहितार्थों के बारे में शिक्षित करना था।
सीयू जम्मू के रजिस्ट्रार प्रो. यशवंत सिंह ने कानूनी बदलावों की अकादमिक और पेशेवर समझ को बढ़ाने में कार्यशाला की भूमिका पर जोर दिया। मुख्य सत्रों का नेतृत्व डॉ. मोहम्मद हसीब मुगल, आईपीएस, डीआईजी ट्रैफिक जम्मू जोन और रोहित कुमार, वरिष्ठ लोक अधिकारी, राज्य जांच एजेंसी, जम्मू ने किया। रोहित कुमार ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 के बारे में विस्तार से बताया कि यह सामुदायिक सेवा की शुरूआत, संगठित अपराधों के लिए सख्त दंड और एक अद्यतन आतंकवाद ढांचे सहित कानूनी प्रावधानों को कैसे आधुनिक बनाता है। उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत एफआईआर पंजीकरण सुधार और जांच प्रोटोकॉल के बारे में भी विस्तार से बताया।
डॉ. मुगल ने पुलिस की जवाबदेही, न्याय-केंद्रित सुधारों और बच्चे और ट्रांसजेंडर की कानूनी परिभाषाओं में समकालीन अपडेट पर प्रकाश डाला। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 पर उनकी चर्चा आधुनिक न्यायिक प्रक्रियाओं में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर केंद्रित थी। एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में उपस्थित लोगों की सक्रिय भागीदारी देखी गई जो कानूनी बदलावों में गहरी दिलचस्पी को दर्शाता है। कार्यशाला का समापन सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहित शर्मा द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रयासों को स्वीकार किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा