खातेदारों की भूमि को अवाप्त कर मुआवजा देने का आदेश
जोधपुर, 23 मार्च (हि.स.)। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति विनित माथुर ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खातेदार की भूमि अवाप्त करने की प्रक्रिया पूर्ण कर मुआवजा दिए जाने का आदेश पारित किया है। एडवोकट प्रवीण दयाल दवे ने राजस्थान उच्च न्यायालय के
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जोधपुर, 23 मार्च (हि.स.)। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति विनित माथुर ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खातेदार की भूमि अवाप्त करने की प्रक्रिया पूर्ण कर मुआवजा दिए जाने का आदेश पारित किया है।

एडवोकट प्रवीण दयाल दवे ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर बताया कि याचिकाकर्ता कालूराम, सीता, बालूराम, श्रवण, गजेन्द्र, सुनील, गुड्डी देवी व भावना की खातेदारी कृषि भूमि खसरा संख्या 103 रकबा 61 बीघा, ग्राम दईजर, तहसील व जिला जोधपुर में हुई है जिसके दोनों ओर से फोर लाइन सडक़ मण्डलनाथ से काली बेरी निकाली जा रही है। वहां पूर्व में 10-12 फीट सडक़ थी, जिसे चौड़ा कर सौ फीट या उससे अधिक किया जा रहा है। इसमें बिना भूमि अवाप्त किए उनकी खातेदारी भूमि पर से सडक़ निकाली जा रही है। तकरीबन 5.10 बीघा भूमि पर से सडक़ बिना भूमि अवाप्त किए निकाली जा रही है। सडक़ निकालने के संदर्भ में टेण्डर नोटिस एक सितंबर 2023 को जारी किए गए थे, जिसके पश्चात् सडक़ निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ।

सरकार व कलेक्टर को नोटिस

इस संदर्भ में याचिकाकर्ताओं द्वारा तहसीलदार, जिला कलक्टर जोधपुर व पीडब्ल्यूडी को अभ्यावेदन व प्रार्थना पत्र दिए लेकिन बिना भूमि अवाप्त किए, मुआवजा दिए बिना ही सडक़ मौके पर बनाना प्रारम्भ कर दिया। इसके पश्चात् याचिकाकर्ताओं द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण लिए जाने पर राज्य सरकार, जिला कलक्टर, तहसीलदार, आरएसआरडीएलसी को नोटिस जारी कर न्यायालय द्वारा तलब किया गया। इसके पश्चात् दोनो पक्षों की सुनवाई कर याचिका स्वीकार करते हुए अधीक्षण अभियन्ता पीडब्ल्यूडी जोधपुर को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को उनके समक्ष भूमि के संदर्भ में सभी दस्तावेजों के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत करे, विभाग कानून के अनुसार उस पर विचार कर, याचिकाकर्ताओं की भूमि सडक़ उपयोग में लिए जाने का तथ्य यदि साबित होता हो तो लोक निर्माण विभाग जोधपुर कानून के अनुसार भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया पूरी कर मुआवजा प्रदान करे। अधीक्षण अभियन्ता लोक निर्माण विभाग जोधपुर कानून के अनुसार शीघ्रता पूर्वक अभ्यावेदन प्रस्तुत किए जाने से आठ सप्ताह के भीतर-भीतर कानूनन सख्ती से उसका निपटारा कर मुआवजा प्रदान करे। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा याचिका स्वीकार करते हुए भूमि का मुआवजा कानूनन देने के आदेश प्रदान किए गए है। याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रवीण दयाल दवे व राजेन्द्र सिंह द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष पक्ष रखा गया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश