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दाैसा, 22 मार्च (हि.स.)। लालसोट इलाके में मंदिर में वर्चस्व की लड़ाई में दो पुजारियों ने एक-दूसरे पर हमला बोल दिया। आरती के समय हुई इस चाकूबाजी में एक पुजारी की मौत हो गई। उनकी आंतें तक बाहर आ गई।
वारदात के बाद आरोपित पुजारी कार लेकर फरार हो गया था। मंदिर से 18 किलोमीटर की दूरी पर आरोपित को पुलिस ने पकड़ लिया गया।
एएसपी दिनेश अग्रवाल ने बताया कि डीडवाना गांव में पावर हाउस के सामने स्थित पंचमुखी बालाजी मंदिर में 21 मार्च की शाम आरती चल रही थी। आरोप है कि इसी दौरान परशुराम दास महाराज (60) पर मंदिर के पास रहने वाले दूसरे पुजारी शिवपाल दास (30) ने चाकू से हमला कर दिया। उसने पेट पर ताबड़तोड़ वार किए, इससे परशुराम दास की आंतें बाहर आ गईं। वह बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें फौरन हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
शिवपाल दास भी घायल हुआ। बताया जा रहा है कि आरती के दौरान वहां पर शिवपाल और परशुराम दास ही मौजूद थे। इनके अलावा वहां कोई और नहीं था।
वारदात के बाद शिवपाल कार लेकर सवाई माधोपुर रोड की तरफ भाग निकला। उसका मोबाइल ऑन था। पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर एक घंटे बाद ही उसे बगड़ी टोल के पास पकड़ लिया। पुलिस ने उसकी कार और मोबाइल को कब्जे में ले लिया है। उसका मेडिकल कराया गया है। उससे पूछताछ की जा रही है।
एसएचओ श्रीकृष्ण मीणा ने बताया कि शिवपाल दास ने पूछताछ में बताया कि शुक्रवार शाम करीब सात बजे मंदिर में आरती हो रही थी। मैं मंदिर में गया तो गर्भगृह के पट बंद थे। आरती चल रही थी। मैंने महाराज परशुराम दास से पट खोलकर आरती करने के लिए कहा। महाराज ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। मैंने चाबी मांगी। पहले तो उन्होंने चाबी देने से इनकार किया, फिर चाबी दे दी।
जैसे ही मैं गेट का ताला खोलने लगा, महाराज ने थैले से चाकू निकालकर पीछे से मेरी गर्दन पर वार किया। मैं अपनी जान बचाकर बाहर की तरफ भागा। बाद में जब मेरी गर्दन से खून निकलने लगा तो मैंने अपना आपा खो दिया। मैं वापस मंदिर में पहुंचा। महाराज ने दोबारा मुझ पर हमला करने की कोशिश की। मैंने उसी चाकू से उन पर वार किया और भाग गया।
शिवपाल दास पंचमुखी बालाजी मंदिर के सामने 100 मीटर दूर एक कमरे में रह रहा था। वह यहां चार महीने पहले आया था। इस घटना से स्थानीय लोगों और संत समाज में गुस्सा है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि परशुराम दास ने ही पंचमुखी बालाजी मंदिर की नींव रखी थी। वे मंदिर में पूजा-पाठ करते थे। आसपास पेड़-पौधे भी लगाए थे। 12 से 14 अप्रैल तक मंदिर में धार्मिक आयोजन होना था। गणेश प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम और कलश यात्रा निकलनी थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित