भारत ने बढ़ाए जवाबदेह डिजिटल बाजार की ओर कदम
मुकुंद भारत ने उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए जवाबदेह डिजिटल बाजार की ओर कदम बढ़ाए हैं। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (15 मार्च) की पूर्व संध्या पर भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने सरकार के प्रयासों को साझा किया है। इस
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मुकुंद

भारत ने उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए जवाबदेह डिजिटल बाजार की ओर कदम बढ़ाए हैं। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (15 मार्च) की पूर्व संध्या पर भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने सरकार के प्रयासों को साझा किया है। इस साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम -'स्थायी जीवनशैली के लिए एक उचित बदलाव ' है। यह ध्येय वाक्य दुनिया भर में मजबूत उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तिकरण का आह्वान करता है। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पिछले साल ई-कॉमर्स विनियमन, डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सतत उपभोग की नीतियों में अहम सुधार किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को निरस्त कर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 को अधिनियमित किया गया। इसमें जिला, राज्य और केंद्रीय स्तरों पर त्रिस्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र 'उपभोक्ता आयोग' का प्रावधान है। आयोग उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित विवादों का सरल और त्वरित निवारण करता है। यही नहीं उपभोक्ता कल्याण कोष की स्थापना कर देश में उपभोक्ता आंदोलन को सशक्त करने का प्रयास किया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विभिन्न राज्यों को उनके संबंधित राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना अर्थात संवर्द्धन के लिए केंद्र सरकार के हिस्से के रूप में 32.68 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों में से 24 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना की है।

मोदी सरकार ने कोरोना काल (कोविड-19) में भी उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा से समझौता नहीं किया। इसके लिए ई-दाखिल पोर्टल की सुविधा प्रदान की गई। इसे शिकायत दर्ज करने के अभिनव और आसान ऑनलाइन प्लेटफार्म के रूप में डिजाइन किया गया। अपनी स्थापना के बाद से यह उपभोक्ताओं को समय पर न्याय सुनिश्चित करने में गेम-चेंजर साबित हुआ है। यह पोर्टल सहज और आसान-सा-नेविगेट करने वाला इंटरफ़ेस प्रदान करता है। ई-दाखिल पोर्टल को पहली बार सात सितंबर, 2020 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने लॉन्च किया था। देशभर में ई-दाखिल की शुरुआत के बाद सरकार ने ई-जागृति भी लॉन्च की है। यह केस फाइलिंग, ट्रैकिंग और प्रबंधन को और अधिक सुव्यवस्थित करती है। यह सभी पक्षों के बीच सहज संचार की सुविधा भी प्रदान करने में सक्षम है।

इस दौरान राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) शिकायतों के समाधान के इच्छुक उपभोक्ताओं के लिए केंद्रीय बिंदु बनकर उभरा है। इसने उपभोक्ताओं को शिकायतें दर्ज करने और कुशल और प्रभावी तरीके से समाधान खोजने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें शिकायत निवारण को कारगर बनाने के लिए उन्नत तकनीक को शामिल किया गया है। इसमें एआई-संचालित स्पीच रिकॉग्निशन,अनुवाद प्रणाली और बहुभाषी चैटबॉट शामिल है। इसके महत्व को देखते हुए इसे बहुभाषी समर्थन के साथ अपग्रेड किया गया । हेल्पलाइन को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) जैसे विभिन्न नियामक निकायों के साथ एकीकृत किया गया।

हाल यह है कि एनसीएच में प्राप्त कॉल्स की संख्या दस गुना से अधिक बढ़ गई है। एनसीएच को नया रूप दिया है। यह नया रूप हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं सहित 17 भाषाओं में उपभोक्ताओं को टोल-फ्री नंबर 1915 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है। अब तो लोग एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (आइएनजीआरएएम) पोर्टल के माध्यम से भी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। आसान पहुंच के लिए इसमें व्हाट्स ऐप, एसएमएस, ई-मेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल और उमंग ऐप जैसे कई चैनल जोड़े गए हैं। इन प्रयासों में जागो ग्राहक जागो पोर्टल और मोबाइल ऐप की भूमिका भी सराहनीय है।

एक और बड़ा काम यह हुआ है कि ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 2019 के प्रावधानों के तहत उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम- 2020 को भी अधिसूचित किया है। ये नियम, अन्य बातों के साथ-साथ, ई-कॉमर्स संस्थाओं की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने 30 नवंबर, 2023 को डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। ये दिशा-निर्देश ई-कॉमर्स क्षेत्र में पहचाने गए 13 विशिष्ट डार्क पैटर्न को संबोधित और विनियमित करते हैं।इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली भ्रामक प्रथाओं को रोकना है। यह प्लेटफार्म यह अनिवार्य करता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा करें। विपणन संचार के लिए स्पष्ट सहमति प्राप्त करें और विवाद समाधान के लिए सुलभ तंत्र प्रदान करें। यह ढांचा ई-कॉमर्स में उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाने में कारगर है। इससे नैतिक व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा मिलना तय है। यह जवाबदेह डिजिटल बाजार की दिशा में मोदी सरकार का बड़ा कदम है। उल्लेखनीय है कि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार 1983 में मनाया गया था। यह तिथि राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को दिए गए संबोधन की याद में चुनी गई थी, जहां वे औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद