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जयपुर, 14 मार्च (हि.स.)। राजस्थान में धुलंडी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। प्रदेश के प्रमुख शहरों जयपुर, पुष्कर, जोधपुर और उदयपुर में रंगों की बौछार के बीच विदेशी पर्यटक भी इस रंगीन उत्सव में शामिल हो रहे हैं। मंदिरों में भक्त अपने आराध्य के साथ फूलों और रंगों की होली खेल रहे हैं। डीजे की धुन और चंग की थाप पर फाल्गुनी गीतों के सुर गूंज रहे हैं।
पुष्कर में होली महोत्सव का आयोजन भव्य रूप से किया जा रहा है। यह उत्सव 11 मार्च को शुरू हुआ था और 14 मार्च को डीजे पार्टी के साथ समाप्त होगा। इस दौरान लगभग 40 हजार पर्यटकों के आने की संभावना है, जिनमें 2000 से अधिक विदेशी सैलानी शामिल होंगे। पुष्कर में पिछले 100 वर्षों से पारंपरिक होली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। आज भी पुष्कर में देसी-विदेशी सैलानी पूरे उत्साह से होली खेल रहे हैं। स्थानीय लोग विदेशी मेहमानों को रंग-गुलाल लगा रहे हैं।
होली और रमजान का जुमा एक ही दिन पड़ने के कारण प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। प्रदेशभर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, खासतौर पर संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है। जयपुर, अजमेर, कोटा और उदयपुर में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।
जयपुर में सुरक्षा व्यवस्था के तहत 11 एडिशनल डीसीपी, 48 एसीपी, 80 सीआई, 1500 हेड कॉन्स्टेबल और कॉन्स्टेबल तथा 350 महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। अजमेर दरगाह क्षेत्र में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। कोटा में 1200 जवानों की तैनाती के साथ तीन दिनों तक ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। वहीं, उदयपुर में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और महिला सुरक्षा के लिए 100 महिला पुलिसकर्मियों की विशेष टीम गठित की गई है। जयपुर मेट्रो भी आज आंशिक रूप से बंद रहेगी और दोपहर 2 बजे के बाद ही सेवा शुरू होगी।
राजस्थान में धुलंडी से जुड़े अनूठे आयोजनों की भी धूम है। बांसवाड़ा जिले के घाटोल कस्बे में अनोखी 'राड़' खेली गई, जहां ग्रामीणों ने जलती लकड़ियों को एक-दूसरे पर फेंका। यह परंपरा 250 सालों से चली आ रही है और इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इस आयोजन में तीन लोग मामूली रूप से घायल हुए।
डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में होली के दूसरे दिन एक और अनूठी परंपरा निभाई गई, जिसमें ग्रामीणों ने धधकते अंगारों पर चलकर अपनी श्रद्धा प्रकट की। ढोल-नगाड़ों के साथ होली चौक पर एकत्र होकर भक्तों ने पहले पूजा-अर्चना की और फिर नंगे पैर अंगारों पर चलने की परंपरा निभाई। ग्रामीणों की मान्यता है कि इस अनुष्ठान से गांव में समृद्धि आती है और लोग सालभर निरोगी रहते हैं।
जयपुर के प्रसिद्ध गोविंददेव जी मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचकर अपने आराध्य के दर्शन कर रहे हैं और भजन-कीर्तन में लीन हैं। हालांकि, इस बार मंदिर में रंग-गुलाल खेलने पर पाबंदी है, केवल फूलों की होली खेली जा रही है। दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को देखते हुए प्रबंधन ने श्रद्धालुओं को चलते-चलते दर्शन कराने की व्यवस्था की है।
भीलवाड़ा में होलिका दहन के बाद श्मशान में भस्म की होली खेली गई, जो वहां की विशेष परंपरा है।चित्तौड़गढ़ के सांवरिया जी मंदिर में परंपरागत रुप से होली खेली जा रही है। करौली के प्रसिद्ध मदन मोहन मंदिर में मंगला आरती में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान भगवान के चरणों में गुलाल चढ़ाई गई और लोगों ने जमकर होली खेली। होली के दौरान हुड़दंग रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल