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--रजिस्ट्रार जनरल ने पेश की रिपोर्ट, बताया कि हाईकोर्ट की बेंच आईडी बदल कर उसमें छेड़छाड़ हुई है
प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने हाईकोर्ट में न्यरयमूर्ति केसमक्ष एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की बेंच आईडी बदल दी गई तथा उसमें छेड़छाड़ की गई है।
रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट की बेंच आईडी में बदलाव एवं छेड़छाड़ अनधिकृत रूप से किया गया है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट देखने के बाद अपने आदेश में कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। क्योंकि हाईकोर्ट की डेटाबेस आई डी में बिना किसी अधिकार के उसमें बदलाव एवं छेड़छाड़ किया गया है जो एक अपराध है।जस्टिस विक्रम डी चौहान ने हाईकोर्ट में केसों की लिस्टिंग में बेंच आईडी में बदलाव या छेड़छाड़ की जांच कर 12 मार्च को रिपोर्ट के साथ महानिबंधक को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के इस कथन पर कि इस मामले में सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं तथा दोषियों के खिलाफ प्रस्तावित कार्रवाई का समय मांगा। इस कारण अभी कोई आदेश पारित नहीं किया है। हाईकोर्ट फिर इस मामले की 24 अप्रैल को चेम्बर में सुनवाई करेगी। यह आदेश हाईकोर्ट ने याची नरेश चंद्र जैन व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। ज्ञात हो कि, कोर्ट ने पिछले डेट पर कहा था कि क्षेत्राधिकार वाली पीठ के बजाय बिना चीफ जस्टिस की अनुमति के दूसरी क्षेत्राधिकार न रखने वाली पीठ के समक्ष इस केस में अर्जी कैसे लिस्ट की गई।कोर्ट ने कहा कि न्यायपीठ के क्षेत्राधिकार का संविधान जारी करने का अधिकार मुख्य न्यायाधीश को है। किसी कर्मचारी को इसमें छेड़छाड़ या बदलाव करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बेंच आईडी में हेर-फेर बेंच संविधान का उल्लंघन है।नियमानुसार किसी भी केस को क्षेत्राधिकार वाली पीठ में कंप्यूटर डाटा बेस के बेंच आईडी के माध्यम से सूचीबद्ध करने की जिम्मेदारी महानिबंधक कार्यालय की है। वह कार्यालय के मुखिया भी हैं। कोई भी केस बिना बेंच आईडी बदले दूसरी पीठ में लिस्ट नहीं किया जा सकता। किंतु प्रश्नगत केस में लिस्टिंग अर्जी को सुनने का अधिकार न्यायमूर्ति चौहान की पीठ को था। इसके बावजूद अर्जी दूसरी पीठ में लिस्ट की गई। जिस पर आदेश पारित किया गया।पीठ के सचिव ने बताया कि सुनवाई का क्षेत्राधिकार न रखने वाली दूसरी पीठ के आदेश से याचिका सूचीबद्ध की गई है। जिसे कोर्ट ने गम्भीर मामला माना और महानिबंधक को दूसरे अधिकारी से नहीं बल्कि स्वयं जांच कर रिपोर्ट के साथ पीठ के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे