गिरीश्वर मिश्र
शिशिर के बाद फागुन और चैत आते के साथ वसंत ऋतु की दस्तक होती है। वसंत में प्रकृति अपने सौंदर्य का सारा संचित खजाना लुटाने के लिए व्यग्र रहती है। उसके अपने दूत बने पक्षी गाकर, वृक्ष और पादप नए पुष्प और पल्लव के साथ सज-धज कर बड़ी मुस्त
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