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नई दिल्ली, 11 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने मंगलवार को कहा कि भारत को अगले 15 से 20 साल में 30 हजार पायलट की जरूरत होगी। इसकी वजह घरेलू एयरलाइनों ने अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 1,700 से ज्यादा विमानों का ऑर्डर देना है, जबकि वर्तमान में 800 से अधिक विमान हैं।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने एयरो क्लब ऑफ इंडिया और शक्ति एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के बीच 200 प्रशिक्षक विमानों के ऑर्डर के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। नायडू ने कहा कि फिलहाल 6,000 से 7 हजार पायलट काम कर रहे हैं। देश को अगले 15 से 20 साल में 30 हजार पायलटों की आवश्यकता होगी।
राममोहन नायडू ने कहा कि एयरो क्लब ऑफ इंडिया और शक्ति एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर मुख्य अतिथि बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि अधिकारी 38 उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) के विभिन्न पहलुओं का सत्यापन कर रहे हैं और इन संगठनों की रेटिंग की जाएगी। उन्होंने भारत को प्रशिक्षण केंद्र बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि मंत्रालय विमानन उद्योग के लिए सामूहिक दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक हवाई अड्डों को वर्गीकृत करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें कार्गो और उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) के लिए अलग हवाई अड्डे बनाये जाने की संभावना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक सहयोग भारत के एफटीओ को स्वदेशी रूप से निर्मित प्रशिक्षक विमान प्रदान करेगा, जिससे आयात निर्भरता कम होगी और हमारा विमानन प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण विमान पायलट विकास की रीढ़ हैं, ये पहल भारत में कुशल पायलटों की अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने में एक गेम-चेंजर साबित होगी। इस अवसर पर विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह और एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजीव प्रताप रूडी और शक्ति एविएशन के अध्यक्ष डॉ. एम. मणिकम भी मौजूद रहे। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर