जनजाति समाज से समरस हुए बिना महाकुंभ पूरा नहीं होगा: स्वामी अवधेशानन्द गिरि
-जनजातीय समाज सभी दृष्टि से सनातन का ही हिस्सा महाकुम्भनगर, 06 फरवरी (हि.स.)। जैसे आप सभी जनजाति बंधु अपनी रूढी, परंपरा, संस्कृति लेकर सहजभाव से महाकुंभ में आए हैं वैसी ही निर्मलता और सादगीपूर्ण वन जीवन का अनुभव करने हेतु सभी संतों को बार-बार वनांचल

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