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अशोकनगर, 04 फरवरी (हि.स.)। अपने खेत में जैविक विधि से सब्जियां उगाने वाली जिले की एक महिला कृषक ने नई किस्म की भिंडी तैयार की है। भिंडी की इस नई किस्म को भारत सरकार के राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान द्वारा भी स्वीकृतकर पंजीकृत किया गया है एवं संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा उनके परीक्षण भी किया जा चुका है।
पिपरई तहसील के जमाखेड़ी गांव की महिला कृषक श्रीमति भूरी बाई नरवरिया ने भिंडी की एक नई किस्म विकसित की है। भूरी बाई अपने खेतों में जैविक विधि से सब्जियों की खेती करने का कार्य करतीं हैं। जब उन्होंने भिंडी की खेती करते समय देखा कि इसमें कम उपज एवं जल्दी कडक़ होने की समस्या थी साथ ही पीला मोजेक रोग लगने के कारण फसल खराब हो जाती थी। जिससे दो वर्षों तक बड़ा घाटा हुआ। इसी दौरान वर्ष 2015 में अपने खेत के एक स्वस्थ एवं रोग मुक्त भिंडी का पौधा मिला जिसमें मात्र एक ही फली लगी थी। जिसको सावधानी पूर्वक बचा कर रखा और उससे प्राप्त कुछ बीजों को लगातार जैविक विधि से उगाकर संशोधित करने का कार्य किया। दो वर्षों बाद आश्चर्य जनक परिणाम देखने को मिला सभी पौधे एक समान थे। जिसमें अधिक शाखाओं के साथ सभी पौधे रोग मुक्त थे।
मुख्य विशेषता इसकी फली की लम्बाई चौदह इंच से अधिक है साथ ही उत्पादन बहुत अधिक होता हैं एवं एक बार बीज लगाने के बाद लम्बे समय तक उत्पादन देती हैं। भिंडी की इस किस्म को भारत सरकार के राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान द्वारा भी स्वीकृतकर पंजीकृत किया गया है। एवं संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा उनके गांव जमाखेड़ी आकर परीक्षण भी किया जा चुका है। नेशनल इनोवेशन फाण्डेशन की अनुसंशा पर इस वर्ष खरीफ के मौसम में कृषि विज्ञान केन्द्र अशोक नगर एवं कुछ किसानों के द्वारा क्षेत्र परीक्षण हेतु महिला प्रवर्तक द्वारा बीज दिया गया था। जिसका श्रेष्ठ परिणाम देखने को मिला है। इस नवीन किस्म का एन आई एफ द्वारा कृषक बीज संरक्षण अधिकार के अन्तर्गत पंजीकृत कराया जा रहा हैं। इनके द्वारा और भी कई बीजो के ऊपर कार्य किया जा रहा हैं।
कृषि वैज्ञानिक की पत्नी हैं, महिला कृषक:दरअसल जिले के युवा कृषि वैज्ञानिक राजपाल नरवरिया की पत्नी हैं महिला कृषक भूरी बाई। भूरिवाई द्वारा नई किस्म की भिंडी तैयार करने से पूर्व उनके पति राजपाल नरवरिया को कृषि यंत्रों के आविष्कार करने पर प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार द्वारा कई पुरस्कार भी प्रदान किए जा चुके हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / देवेन्द्र ताम्रकार