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राजभवन कोलकाता में हिन्दुस्थान समाचार के साथ विशेष साक्षात्कार में उन्होंने राज्य में राजनीतिक हिंसा की शिकायतें सुनने के लिए शुरू किए गए पीस रूम से लेकर राज्य और राजभवन के बीच तकरार पर भी खुलकर बात की।
बजट 2025-26: बंगाल को क्या मिला?
राज्यपाल बोस ने बजट 2025-26 के संदर्भ में कहा कि इसमें बंगाल को आगे बढ़ाने के कई अवसर हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण की घोषणा को महत्वपूर्ण बताया। राज्यपाल ने कहा कि इस बजट में कृषि, एमएसएमई, पर्यटन, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया है। बंगाल को विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में मिली नई योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए, जिससे राज्य के किसानों की आय बढ़ सके। उन्होंने केंद्र सरकार की अन्नदाता उन्नति योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि बंगाल में एमएसएमई क्षेत्र में 35 फीसदी व्यवसाय घरेलू बाजार पर निर्भर करता है, जबकि 45 फीसदी निर्यात से जुड़ा हुआ है। बजट में एमएसएमई क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये का क्रेडिट सपोर्ट देने की घोषणा की गई है, जिससे राज्य के छोटे और मध्यम उद्यमों को राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बंगाल के लिए संभावनाएं
राज्यपाल ने कहा कि डे-केयर कैंसर सेंटर, नई मेडिकल सीटों और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के विस्तार से बंगाल को विशेष लाभ मिलेगा। राज्यपाल ने स्वास्थ्य क्षेत्र में डे-केयर कैंसर सेंटर और 10 हजार नई मेडिकल सीटों को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बंगाल को मेडिकल हब बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम हो सकता है।
बजट पर तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया और राज्यपाल की अपील
तृणमूल कांग्रेस ने बजट 2025-26 को बंगाल विरोधी बताया है और कहा कि इसमें राज्य को कोई विशेष पैकेज नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे केंद्र सरकार का एक और राजनीतिक कदम करार दिया है। राज्यपाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर बजट के सकारात्मक पहलुओं को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट केवल किसी एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के विकास को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार का बजट ईस्ट-वेस्ट-नॉर्थ-साउथ के लिए नहीं बल्कि भारत की आत्मा के लिए विकसित भारत के लक्ष्य के साथ बना है। इससे सभी राज्यों को फायदा होना है।
उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि बंगाल के हित में केंद्र की योजनाओं को लागू करने में किसी भी प्रकार की बाधा न आने दें। राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने अपने बयान में बजट के फायदे और बंगाल की विकास योजनाओं को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि बजट 2025-26 में बंगाल के लिए कई अवसर मौजूद हैं, जिन्हें राज्य सरकार को पूरी तरह से अपनाना चाहिए।
संघीय ढांचे पर जोर
राज्यपाल ने संघीय व्यवस्था की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर काम करना चाहिए, न कि टकराव की स्थिति में रहना चाहिए। उन्होंने कहा, संघीय ढांचे की सफलता इस पर निर्भर करती है कि राज्य और केंद्र किस प्रकार समन्वय से काम करते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारों को केंद्र की योजनाओं को लागू करने में राजनीति से ऊपर उठना चाहिए। उनका मानना है कि यदि राज्य सरकारें विकास योजनाओं को अपनाने में देरी करेंगी, तो इससे जनता को ही नुकसान होगा।
राज्य में कानून व्यवस्था पर चिंता
राज्यपाल बोस ने पश्चिम बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मोबाइल राजभवन और 'पीस रूम' जैसी पहल के जरिए कई लोगों ने हिंसा की शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिनका त्वरित समाधान किया गया। गवर्नर ने बताया कि चुनाव के समय हर रोज हजारों शिकायतें मिलीं, जिन्हें समाधान के लिए संबंधित अथॉरिटी को भेजा गया। उन्होंने कहा कि कई मामलों में जांच में समय लगता है, लेकिन कुछ मामलों में तत्काल एक्शन बेहद कारगर साबित हुआ।
उत्तर बंगाल में एक व्यक्ति की जान राज्यपाल के हस्तक्षेप से बची
उन्होंने उत्तर बंगाल का एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति के घर को हथियारबंद असामाजिक तत्वों ने घेर लिया था, लेकिन राजभवन के हस्तक्षेप से पुलिस ने समय पर पहुंचकर उनकी जान बचाई। यह घटना चुनाव के समय की है, जब उसने राजभवन में फोन कर बताया कि हथियारबंद गुंडे उनकी जान लेने पर तुले हुए हैं। राज्यपाल ने तुरंत पुलिस को हस्तक्षेप करने को कहा और उस व्यक्ति की जान बच गई। दूसरे दिन राजभवन आकर उसने आभार जताया था और कहा था कि राज्यपाल की वजह से उसके तन पर सिर है।
कुलपति नियुक्ति विवाद पर क्या है राज्यपाल का रुख?
राज्यपाल बोस ने पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच जारी गतिरोध पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, पर्याप्त कारणों से मैंने राज्य सरकार की ओर से भेजी गई सूची को मंजूरी नहीं दी।
राज्य सरकार और राजभवन के बीच लंबे समय से कुलपति नियुक्ति को लेकर टकराव चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत बनी चयन समिति ने राज्य की 36 विश्वविद्यालयों के लिए संभावित कुलपतियों की सूची तैयार की थी, लेकिन राज्यपाल ने कुछ नियुक्तियों पर आपत्ति जताई।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है और यदि कोई अनियमितता मिलती है तो उसे संबंधित न्यायालय को सूचित किया जाएगा। उन्होंने कहा, मैंने अभी तक 17 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति की स्वीकृति दी है, बाकी की प्रक्रिया अभी चल रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर